नई दिल्ली। भारत के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा वो नाम है जिसके हाथ में जादू है जो मिट्टी को भी सोना बना देते हैं। ऐसा ही सोना बनकर आई थी रतन टाटा की ड्रीम कार टाटा नैनो, जिसने भारत की सड़को पर आते ही तहलका मचा दिया था एक समय ऐसा भी आया कि Tata Nano Car के आने से दूसरी बड़ी कपंनियों का बाजार पूरी तरह से ढप्प हो गया था। लेकिन कुछ समय के बाद इस लखटकिया कार TATA Nano का मार्केट में दिखना बदं हो गया है। रतन टाटा के ड्रीम प्रोजेक्ट को क्यों बंद करना पड़ा आइए जानते हैं टाटा नैनो के डूबने की पूरी कहानी..
साल 2008 में रतन टाटा के इस ड्रीम प्रोजेक्ट नैनो कार को बाजार में प्रदर्शित किया गया। इसके जांच के बाद साल 2009 में इसे लॉच कर दिया गया। इस कार की धमाकेदार एट्री होने के बाद से लोग इस कार को बढ़-चढ़कर खरीदने लगे। लगातार हो रही सेल के बाद टाटा नैनो को लेकर लोगों में काफी उत्साह दिखा। भारत का एक बड़ा वर्ग रतन टाटा के इस सपने से खुद को जोड़कर देखने लगा था।
2009 में सड़कों पर उतरी ‘आम लोगों की कार’ नैनो
टाटा मोटर्स की इस कार को खरीदने के लिए अमीर लोग से ज्यादा आम वर्ग के लोग खरीदने के लिए काफी आगे आए। बच्चे-बूढ़ों से लेकर युवाओं में भी नैनो कार का क्रेज इतना बढ़ा कि खुद रतन टाटा ने इसे आम लोगों की कार कहलाना शुरू कर दिया था।
बाइक और स्कूटर वालों के लिए आई थी लखटकिया कार
टाटा मोटर्स ने नैनो कार को लखटकिया कार के तौर पर पेश किया था। जिसके पीछे की एक वजह का खुलासा रतन टाटा ने एक इंटरव्यू के दौरान करते हुए बताया था कि वो बाइक और स्कूटर से चलने वाले हर शख्स को अपनी कार से चलते देखना चाहते हैं। टाटा मोटर्स का सपना था कि चार लोगों का एक छोटे परिवार बाइक की तुलना में इस कार में ज्यादा सुरक्षित रहेगा। यही कारण था कि नैनो कार की शुरूआती कीमत एक लाख रूपए के करीब रखा गई।
लखटकिया नाम बना मुसीबत, 10 साल में हुई बंद
नैनो कार ने शुरुआत में काफी धमाल मचाया, लेकिन कुछ समय के बाद इसकी बिक्री घट गई। टाटा मोटर्स की लगातार बिक्री को घटती देख टाटा नैनो ने साल 2018 में ही इसका प्रोडक्शन बंद कर दिया था। BS-IV एमिशन नॉर्म्स के लागू होने के बाद नैनो कार को बंद करने का फैसला लिया गया।
सबसे सस्ती कार क्यों नहीं बन पाई आम लोगों की पसंद?
टाटा नैनो की कार का प्रभाव इतना गंदा पड़ा कि लोग इन गाड़ियों में आग लगाने की घटनाएं सामने आई। जिसने कार की इमेज पर एक गहरा असर डाला। इसके बाद सबसे सस्ती कार के तौर पर इसका प्रसार करना भी नैनो के लिए भारी पड़ गया। उस दौर में लोग ‘सस्ती कार’ के टैग की वजह से नैनो से दूरी बनाने लगे।
रतन टाटा को आज भी नैनो पर गर्व
एक इंटरव्यू के दौरान रतन टाटा ने कहा था कि इस कार को लाने का विचार तब आया जब एक समय हो रही तेज बारिश में उन्होंने चार लोगों के एक परिवार को बाइक पर जाते हुए देखा था। जिसके बाद उनके दिमाग में बाइक के बजट की सस्ती और सुरक्षित कार बनाने का फैसला लिया, वैसे, टाटा नैनो को जिस तड़क-भड़क के साथ सड़कों पर उतारा गया था, वो उतनी ही खामोशी से से गायब भी हो गई। वहीं, अब खबरें आ रही हैं कि नैनो कार को एक इलेक्ट्रिक व्हीकल के तौर पर फिर से बाजार में लॉन्च किया जाएगा।