नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद राहुल गांधी को दोहरा झटका लगा है। एक तो सूरत कोर्ट ने कथित मोदी सरनेम पर विवादित बयान देने के मामाले में उन्हें 2 साल की सजा सुनाई जिससे उनकी सांसदी छिन गई है, उन्हें दूसरा झटका यह लगा है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 (3) के अनुसार, यदि किसी सांसद या विधायक को दोषी पाया जाता है और इसके लिए उन्हें 2 या 2 साल से अधिक की सजा होती है तो ऐसे सांसद या विधायक की हाउस से सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाएगी। केवल इतना भर नहीं सजा पाने वाले सांसद या विधायक की सजा की अवधि पूरी होने के बाद भी वो 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। यानी उन्हे चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य माना जाता है। यदि इस कानून को बारीकी से देखें तो इसकी धारा 8(3) में यह स्पष्ट वर्णन है कि यदि कोई सांसद दोषी पाया जाता है और दो साल से कम की कैद की सजा नहीं होती है तो उसे अयोग्य करार दिया जा सकता है।
ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी के पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है, राहुल गांधी को तत्काल जमानत तो मिल गई है कोर्ट ने उन्हें ऊपरी अदालत में अपील करने की 30 दिनों की मोहलत दी है, यदि वहां भी सजा बरकरार रखी जाती है तो वे पहले हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। यदि वहां से उनकी सजा खत्म होती है तो एक बार फिर से उनकी सदस्ता बहाल हो जाएगी और 6 सील तक चुनाव लड़ने पर लगी रोक भी हट जाएगी।