नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी ने राजस्थान में तत्काल प्रभाव से प्रदेश कार्यकारिणी को भंग कर दिया है। इस बात की जानकारी पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से दी गई है। राजस्थान में विधानसभा चुनावों की शुरूआत होने के बस कुछ ही समय बचे है जिसके चलते पार्टी अब नए सिरे से प्रदेश कार्यकारिणी बैठक का गठन कर सकती है। आने वाले समय में जो नई कार्यकारिणी गठित होगी उसमें नए चेहरों को भी शामिल किया जा सकता है।

सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में उठाए कई मुद्दे

आपको बतादें अखिलेश यादव पिछले महीने राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में भाग लेने के लिए कोलकाता गए थे, जहां उन्होंने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए रणनीति पर चर्चा की थी। अखिलेश ने लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रव्यापी जातिगत जनगणना की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि इस तरह की जनगणना से बीजेपी के झूठे वादों की कलई खुल सकती है, कि वे गरीबों और दलितों के लिए कितना काम करते हैं।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर बीजेपी को लिया आड़े हाथों

अखिलेश यादव ने अडाणी कंपनी के खिलाफ हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए धोखाधड़ी के आरोपों पर भी निशाना साधा था, इस विषय पर उन्होंने कोलकाता में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मोदी सरकार को घेरते हुए जातिगत जनगणना को भारत के लिए सबसे जरूरी बताया था। उन्होंने कहा था कि बीजेपी ने 2014 के चुनावों में अच्छे दिन आएंगे का नारा दिया था, लेकिन बाद में यही नारा सबका साथ, सबका विकास के रूप में बदल गया। अखिलेश ने जातिगत जनगणना पर ज़ोर देते हुए उसके महत्व को समझाया और कहा कि इससे सिद्ध हो जाएगा कि बीजेपी ने गरीबों और दलितों के लिए क्या किया है?

जाति जनगणना से खुलेगी बीजेपी के विकास की पोल

अखिलेश यादव ने जाति जनगणना को देश के लिए सबसे बड़ा मुद्दा बताया था। उन्होंने कहा था कि इस तरह की जनगणना केंद्र सरकार के द्वारा गरीबों और दलितों के हित में जारी की जानी चाहिए। इससे बीजेपी द्वारा किए जाने वाले विकास कार्यों की जांच की जा सकती है, और गरीब और दलितों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकती हैं।

अखिलेश ने कांग्रेस पर भी साधा निशाना

उन्होंने देश के ऐसे सभी राजनीतिक दलों को इस मुद्दे से जुड़ने की अपील भी की थी, जो सीधे तौर पर अधिकारों की लड़ाई लड़  रहे है। उन्होंने कहा कि इसके बिना सामाजिक न्याय की व्यवस्था असंभव है। यदि हम इसे प्राथमिकता नहीं देते हैं तो बीआर अंबेडकर के सपने कभी पूरे नहीं होंगे। उन्होंने इस विषय पर कांग्रेस की भी आलोचना की थी, और कहा था कि जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तब नेताजी (मुलायम सिंह यादव), शरद यादव, लालू प्रसाद यादव और दक्षिण भारत के कई नेताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों को अनसुना किया गया था।