नई दिल्ली: आज के समय में लोग सात संमुदर पार की यात्रा पल भर में कर सकते है। आज की तकनीकी भरी दुनियां ने ऐसे कई संसाधन बना दिए है जिसका फायदा उठाकर इंसान काफी कम समय मे कई किलोमीटर दूरी पार कर सकता है। जिसमें से एक है एरोप्लेन। लेकिन एरोप्लेन में यात्रा करने से पहले कई तरह की प्रक्रियाएं से होकर गुजरना पड़ता है जिससे यात्रियों की यात्रा असानी के साथ सफल हो सके।

यह बात शायद ही आप जानते होगें, कि हवाई जहाज में यात्रा करने से पहले इसके इंजन में जिंदा मुर्गे को फेंका जाता हैं।

इसके पीछे कारण यह है कि किसी हवाई जहाज को उड़ान भरने की से पहले अनुमति तभी दी जाती है जब उसका परीक्षण सुनिश्चित कर लिया जाता है। और देखा जाता है कि इंजन ठीक से काम कर रहा है या नहीं। इस दौरान उसके इंजन में मुर्गे को चिकन गन इंजन में फेंका जाता है।

पक्षी से होता है परीक्षण

अक्सर आकाश में उड़ते वक्त विमानों का पक्षियों से टकराना एक आम बात हो चुकी है। पक्षी के टकराने पर विमान में सवार सभी यात्रियों की जान को खतरे से बचाया जा सके इसके लिए विमान बनाने वाली परीक्षण करने के लिए सिमुलेटर का उपयोग करती है। इंजन के साथ उड़ान भरने से पहले जांच कर्ता को पूरी तरह से प्रशिक्षित किया गया है। इसके बाद जांचा जाता है कि अगर पक्षी इंजन से टकराता है तो इंजन पर क्या असर देखने को मिलेगा।

इंजन में दागे जाते हैं मुर्गे

सबसे पहले जब हवाई जहांज उड़ान भरता है तब विंड शील्ड और इंजन दोनों का परीक्षण किया जाता है इसके लिए चिकन गन का इस्तेमाल किया जाता है जो इंजन में मृत मुर्गियों या मुर्गियों को इंन की ओर तेसी फेंकने का कम करती है इससे यह परीक्षण मापा जाता है कि हाई स्पीड बर्ड स्ट्राइक अलार्म सिस्टम कितनी अच्छी तरह काम कर रहा है। विंडशील्ड का भी परीक्षण किया जाता है।