नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच हुए युद्ध के बाद से अमेरिका और यूरोपीय देश रूस पर हर तरह के प्रतिबंध लगा चुके हैं। लेकिन इनके बीच भारत ही ऐसा देश है जो अब तक रूस से सस्ते तेल का आयात बड़े स्तर पर कर रहा है। भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर यूरोपीय देशों को भी बेच रहा है। जिसके बाद से अब यूरोपीय यूनियन ने भारत को इस लेन देन को लेकर सख्ती की है और कार्रवाई की धमकी दे डाली है।

रूस से सस्ता तेल खरीदकर यूरोप के देशों को बेचने को लेकर यूरोपीय यूनियन ने भारत के खिलाफ सख्त निर्देश जारी करके कार्रवाई करने की धमकी दी है। भारत रूसी तेल को रिफाइन करके यूरोप में बेच रहा है। इसे लेकर ईयू ने कड़ी आपत्ति जताई है। पिछले महीने आई रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने यूरोप को रिफाइन तेल बेचने के मामले में सऊदी अरब को भी पीछे छोड़ दिया है.यूरोपीय यूनियन की विदेश नीति के प्रमुख जोसेप बोरेल ने मंगलवार को कहा, “भारत रूस से तेल खरीद रहा है। इससे कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन भारत इसी तेल को रिफाइन कर हमें बेच रहा है जो हमारे नियम के खिलाफ है हमें इस पर कार्रवाई करनी होगी।

भारत की ओर से किए जा रहे निर्यात में डीजल और गैसोलीन भी शामिल है।”रूस से तेल आयात में किस तरह से बेतहाशा वृद्धि हुई है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक समय ऐसा भी थी जब रूस भारत को एक फीसदी से भी कम तेल निर्यात करता था, वही रूस आज भारत को बड़ी मात्रा तेल निर्यात कर रहा है। वर्तमान में भारत के तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी एक फीसदी से बढ़कर 35 फीसदी से ज्यादा हो गई है.भारत रूसी कच्चे तेल को खरीदकर अलग-अलग रिफाइन कंपनियों में रिफाइन कर अमेरिका और यूरोपीय देशों को ऊंची कीमतों पर बेचता है।

CREA की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत के डीजल निर्यात में लगभग तीन गुना की वृद्धि दर्ज की गई है.रूस से तेल आयात को लेकर अब यूरोपीय यूनियन के देश इसकी कड़ी आलोचना कर रहे है। रूस पर कठोर प्रतिबंध लगाने  वाले देशों का मानना है कि भारत के तेल आयात की वजह से ही रूस राजस्व के एक बड़े हिस्से को पाने में सफल हो रहा है। इसके बावजूद भारत ने तेल आयात जारी रखा है।

यूरोपीय यूनियन ने दी चेतावनी

जोसेफ बोरेल ने कहा, ” जी-7 देशों की ओर से लगाए गए प्राइस कैप के मुताबिक जो कीमते निर्धारित की गई थीं उसके मुताबिक रूसी कच्चे तेल की बिक्री को 60 डॉलर प्रति बैरल तक सीमित करना था प्राइस कैप का मकसद ही यही था कि रूस के खजाने में कमी बनी रहे। हम समझ रहे हैं कि भारत इस प्राइस कैप की वजह से सस्ते कीमत पर रूसी तेल खरीदकर फायदा उठाना चाहता है।”

बोरेल ने आगे कहा, “भारत रूसी तेल खरीद रहा है। इसमें कोई दिक्कत नही है। इसके लिए हम भारत को धन्यवाद देते हैं कि हमारी ओर से लगाए गए प्राइस कैप की वजह से वह बहुत सस्ता रूसी तेल खरीद सकता है। यह हमारे लिए भी बढ़िया है कि रूस को जितना कम राजस्व मिलेगा, उतना बेहतर होगा। लेकिन अगर भारत इस प्राइस कैप का इस्तेमाल एक सेंटर की तरह करता है, जो रूसी तेल को रिफाइन कर उस तेल को हमें ही बेच रहा है। तो इसके लिए हमें कार्रवाई करनी होगी।