नई दिल्ली: भारत में पहले हर घरों में इंडियन टॉयलेट (Indian Style Toilet) का चलन ज्यादा था। और आज भी कुछ घरों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन बदलते समय के साथ लोगों के रहन सहन में भी परिवर्तन दंखने को मिला। जिसके चलते लोग अब अपने घरों में नई पद्धति के अनुसार वेस्टर्न टॉयलेट (Western Style Toilet) का उपयोग ज्यादा करने लगे है।
यदि आपके घर में वेस्टर्न टॉयलेट है तो आपने देखा होगा कि टॉयलेट के फ्लश में आपको दो बटन देखने को मिलता हैं- जिसमें एक छोटा होता है और दूसरा बड़ा। लेकिन ज्यादातर हम बड़े बटन का उपयोग करते हैं। तो दूसरे का उपयोग कब होता है क्या प जानते है इसके बारे में? यदि आपके दिमाग में भी ये सवाल आया है तो क्या आपने इसकी वजह जानने की कोशिश की? चलिए आज हम आपको बता रहे है कि वेस्टर्न टॉयलेट के फ्लश में एक छोटा और एक बड़ा बटन क्यों दिया जाता है।
पानी की बचत को ध्यान में रखकर शुरू हुआ ड्यूअल फ्लश
आपको बता दें कि फ्लश में दो बटन लगाने का आइडिया पानी की बचत को ध्यान में रखते हुए सबसे पहले अमेरिका के प्रोफेसर, लेखक डिजाइनर विक्टर पापानेक के दिमाग में आया था। अब आप यह जानना चाहेंगे कि ड्यूअल फ्लश से पानी की बचत कैसे होती है?
दरअसल, जब हम मल के लिए टॉयलेट का उपयोग करते हैं तो उसे फ्लश करने के लिए ज्यादा पानी की जरूरत होती है जबकि यूरिनल में फ्लश करने के लिए कम पानी की जरूरत पड़ती है। इसी बात को ध्यान में रखकर वेस्टर्न टॉयलेट में ड्यूअल कॉन्सेप्ट की शुरुआत हुई।
कौन-सा बटन प्रेस करने से कितना पानी निकलता है
टॉयलेट फ्लश के बड़े बटन का इस्तेमाल पॉटी फ्लश करने के लिए किया जाता है. बड़े बटन को प्रेस करने से एक बार में करीब 6 से 9 लीटर पानी निकलता है। जबकि छोटे में 3 से 4 लीटर पानी निकलता है। ये बात जानकर आपको हैरानी होगी कि फ्लश के बटन का सही इस्तेमाल करने से आप एक साल में करीब 20 हजार लीटर पानी की बचत कर सकते है। यदि आपको फ्लश के दो बटन के कॉन्सेप्ट के बारे में पहले पता नही था तो इस जानकारी को प्राप्त करके अब आप पानी की भरपूर बचत कर सकते है।