राजस्थान में सत्ता परिवर्तन का एजेंडा लेकर निकली बीजेपी की राह इन चुनावों में आसान नहीं लग रही है। पार्टी ने इस बार केंद्रीय स्तर पर प्रत्याशियों का चयन किया है। लेकिन कई ऐसे प्रत्याशी हैं, जो टिकट न मिलने से बागी हो गए हैं तो कई ऐसे कद्दावर नेता भी है जो टिकट के काटे जाने से मैदान में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़े हो गए हैं। अब राजस्थान के निर्दलीय प्रत्याशियों ने बीजेपी के समक्ष बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। बता दें कि प्रदेश में करीब 30 निर्दलीय प्रत्याशी खड़े हो चुके हैं जिन्होंने बीजेपी के नेताओं का सियासी गणित बिगाड़ दिया है।
ये प्रत्याशी बने बीजेपी की जीत में संकट
चित्तौड़गढ़ क्षेत्र से 2 बार चुनाव जीतते आ रहें विधायक चंद्रभान सिंह आक्या टिकट इस बार पार्टी ने काट दिया है। हालांकि बीजेपी से इस बारे में पुनर्विचार करने को कहा गया लेकिन पार्टी ने साफ़ मना कर दिया। जिसके बाद चंद्रभान सिंह ने बागी होकर मैदान में ताल ठोक दी है। अब वहां के बीजेपी प्रत्याशी नरपत सिंह राजावत की जीत खतरे में दिखाई दे रही है।
शाहपुरा सीट से बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश मेघवाल चुनाव जीतते आ रहें हैं। 89 वर्षीय मेघवाल को इस बार टिकट कटने का डर है। पिछले दिनों मेघवाल ने एक केंद्रीय मंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा दिया था। जिसके बाद पार्टी ने मेघवाल को अनुशासनहीनता का नोटिस भेज दिया था। मेघवाल ने इस नोटिस के जवाब को देते हुए पार्टी को छोड़ दिया था। अब मेघवाल ने चुनावी दंगल में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोक दी है और वे बीजेपी प्रत्याशी लाला राम बैरवा के लिए संकट बन गए हैं।
कोटा की लाडपुरा विधानसभा सीट के भवानी सिंह राजावत का टिकट भी इस बार काट दिया गया है। इस बार पार्टी ने यहां से कल्पना देवी को प्रत्याशी बनाया है। लेकिन राजावत ने पहले ही ऐलान कर दिया था की पार्टी उन्हें टिकट दे अथवा न दे वे चुनाव जरूर लड़ेंगे। अब राजावत ने कल्पना देवी की राह बेहद मुश्किल कर दी है।
सांचोर से बीजेपी ने सांसद रहे देवजी पटेल को मैदान में उतारा तो पूर्व विधायक रहे जीवाराम तथा दानाराम ने विरोध किया। ये दोनों लोग टिकट के दावेदार थे लेकिन देवजी को टिकट मिलने के बाद में ये दोनों एक हो गए हैं। इन दोनों ने ऐलान किया है कि पार्टी इन दोनों में से किसी एक को टिकट दे वरना ये पार्टी के विरुद्ध कदम उठाएंगे। जीवाराम ने निर्दलीय नामांकन भी कर दिया है। इस कारण अब देवजी की जीत पर संकट आ गया है।
इन सीटों से बीजेपी के लिए समस्या बने निर्दलीय प्रत्याशी
रविंद्र सिंह भाटी को इस बार टिकट नहीं दिया गया। जिसके बाद वे शिव से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़े हो गए हैं। इसी तरह झुंझुनूं से राजेन्द्र भांबू, बाड़मेर से प्रियंका चौधरी, खंडेला से बंशीधर बाजिया, सुजानगढ़ से राजेन्द्र नायक, जालोर से पवन मेघवाल, सीकर से ताराचंद धायल, फतेहपुर से मधुसूदन भिंडा, डग से रामचंद्र सुनेरीवाल, मसूदा से जसवीर सिंह खरवा, जैतारण से योगी लक्ष्मण नाथ आदि ने निर्दलीय खड़े होकर बीजेपी के लिए संकट खड़ा कर दिया है।