नई दिल्ली: सनातन धर्म में हर व्रत का विशेष महत्व है जिसके बीच एकादशी तिथि का अपना अलग महत्व है। गीता में इस व्रत का उल्लेख किया गया है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण कहा है- “मैं तिथियों में एकादशी हूं।” ऐसे में इस एकादशी के दिन की पवित्रता का अंदाजा लगाया जा सकता है। ये भक्तों के लिए कितना प्रभावशाली हो सकता है। लेकिन इस एकादशी व्रत को करने के लिए इससे जुड़े एक नियम का मानना काफी जरूरी है इस दिन चावल (भात) का सेवन नहीं करना चाहिए।
एकादशी व्रत के रखने के कड़े नियम है जिसका पालन ना करने से दोष लगता है। हालांकि शास्त्रों में इस दोष से मुक्ति पाने के उपाय भी बताए गए हैं। आइए जानते हैं एकादशी के दिन चावल का सेवन करने से किस तरह का दोष लग सकता है।
एकादशी के दिन चावल खाने से दोष
एकादशी के दिन चावल का सेवन करने से बचना चाहिए। दरअसल इसके पीछे की धार्मिक वजह यह है कि मन की चंचलता को दूर करने के लिए इस व्रत को रखा जाता है, और इस दिन पका हुआ चावल (भात) खाने से मन और भी चंचल हो जाता है। कहा भी गया है- जैसा अन्न, वैसा मन। पके हुए चावल में जल तत्व की प्रधानता होती है। ऐसे में जब एकादशी व्रत के दिन चावल का सेवन करते है तो मन-मस्तिष्क की चंचलता तेजी के साथ बढ़ने लग जाती है। इसलिए कहा जाता है कि एकदशी के दिन भात यानी पके हुए चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
यदि आप धोखा से एकादशी के दिन चावल का सेवन कर लेते है तो इसमें लगने वाले दोष को दूर करने के लिए पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने से लगने वाले को दोष खत्म किया जा सकता है। इतना ही नही पूरे जीवन काल में किसी भी दिन जगन्नाथ मंदिर के दर्शन कर लेनें से एकादशी व्रत-भंग का दोष समाप्त हो जाता है।