खबर राजस्थान के जयपुर के अंतर्गत आने वाले सांऊ गांव तथा इसके आसपास की ढाणियों से है। यहां के लोगों की दिनचर्या में अचानक बदलाव आ गया है। पहले यहां के लोगों में जहां निश्चिंतता और बेफिक्री थी वहीं अब इन लोगों के मन में 24 घंटे भय बना रहता है। असल में इन लोगों के भय का कारण बाघ है।

लोगों को पता नहीं होता की कब किस घड़ी बाघ उनके गांव में आ जाए। असल बात यह है कि सरिस्का के जंगल से निकल कर बाघ एसटी-24 अब जमवारामगढ़ क्षेत्र में घूम रहा है। लेकिन वन विभाग उसका पता लगाने में नाकाम रहा है। विभाग के ट्रैकिंग सिस्टम के फेल होने से गांव के लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है।

मवेशियों को शिकार बनाता जा रहा है बाघ

राजधानी से 25 किमी दूर जमवारामगढ़ वन अभयारण्य क्षेत्र में घूम रहें बाघ का सुराग लगाने में वन विभाग की टीम नाकाम रही है। वह लगातार मवेशियों का शिकार करता नजर आ रहा है और वन विभाग के अधिकारी उसके पग मार्क खंगाल रही है।

प्रशासन से नाराज हैं ग्रामीण

स्थानीय लोगों में वन विभाग को लेकर काफी नाराजगी है। उनका कहँ अहइ कि अजबगढ़ से आये बाघ ने पिछले 6 दिन से लगातार दहशत मचाई हुई है। वह पहाड़ पर घूम रहा है और लगातार मवेशियों का शिकार कर रहा है। इससे लोगों को आर्थिक हानि हो रही है क्योकि पशुधन ही यहां के किसानों की आजीविका का साधन है। अब बाघ ढाणियों में भी घुसने लगा है जिसके कारण यहां के लोगों को जान का ख़तरा बना हुआ है।

यहां बहुत से लोग ढाणियों में निवास करते हैं, जिनके घर काफी दूर दूर हैं। ऐसी स्थिति में कभी भी अनहोनी हो सकती है। किसानों का कहना है कि अब खेत में भी तीन से चार लोगों को साथ में जाना पड़ता है। अब हर समय अपने साथ में लाठी, डंडा और कुल्हाड़ी जैसी चीजें रखनी पड़ रहीं हैं। लोग अकेले मवेशी चराने नहीं जा पा रहें हैं।

पड़तांल में हो रही खानापूर्ति

ग्रामीण लोगों का कहना है कि वन विभाग के लोग बाघ को ढूंढने के लिए खानापूर्ति कर रहें हैं। ये लोग गाड़ियों में बैठकर आते हैं और चले जाते हैं। वहीं प्रशासन ने भी इनकी सुध नहीं ली है। वन विभाग की टीम सिर्फ लोकल स्तर पर मॉनिटरिंग कर रही है। स्थानीय रेंजर प्रेेम प्रकाश मीणा ने कहा है कि बाघ की कोई खबर नहीं है। उसके मूवमेंट का पता नहीं लग पा रहा है संभवतः वह पहाड़ पर ही है अतः जल्दी ही टीम को पहाड़ पर भेजा जाएगा।