नई दिल्ली। प्राचीन काल से लेकर आज के बदलते समय तक भारत औषधिय जड़ी बूटी से ओतप्रोत रहा है। आर्युवेद का उपयोग भारत में कई तरह के बीमारियो को दूर करने के लिए किया जाता रहा है। जिसमें इन्ही आर्युवेद में एक पेड़ ऐसा भी हैं। जिसकी जड़, फूल, बीज, छाल के साथ पत्तियां काफी उपयोगी होती है। इस पेड़ का नाम अगस्त्य या गाछ मूंगा सेस्बानिया वंश का एक छोटा पौधा है। जो तेज़ी से के साथ हर जगह पर उगने वाला पेड़ है जो 3 से 7 मीटर लंबा होता है। इसकी उपयोगिता शरीर के लिए किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है. प्रो. डॉ. आर.वी.एन पांडेय बताते हैं कि अगस्त का पेड़ सर्दी, खांसी-जुकाम और बुखार के काफी अच्छा माना जाता है।
अगस्त्य की पत्तियों का उपयोग खांसी-जुकाम के साथ माइग्रेन की समस्या को दूर करने के लिए भी किया जाता है। माइग्रेन जहां हो रहा है ठीक उसके विपरीत दिशा के नाक में इसके पत्तियों का रस 2 से 3 बूंद डालने से माइग्रेन जड़ से खत्म हो जाता है.
अगस्त्य के पेड़ के जड़ और पत्तियों का सेवन काढ़े के रूप से करने से सर्दी-खांसी के साथ ठंडी के मौसम में असरदार साबित होता है। यह काढ़ा संक्रामक बीमारियों से शरीर की रक्षा करता है। इसकी उपयोगिता को देखते हुए इसकी टेबलेट भी बाजार में काफी मिलने लगी है। इसके पाउडर का सेवन करने से आंख की रोशनी, सर दर्द और पेट की समस्या दूर होती हैं। यह याददाश्त को बढ़ाने में भी बहुत फायदेमंद साबित होता है।
इतना ही नही इस पेड़ की पत्तियों की सब्जी के साथ पकौड़ी भी बनी जाती है जो काफी स्वादिष्ट होती है। इसकी पकौड़ी इतनी स्वादिष्ट होती है कि हर कोई बस उंगली ही चाटता रह जाता है।