नई दिल्ली। भारत में जहरीले सापों के कई प्रजातियां पाई जाती है। जिसमें दोमुंहा सांप भी  (Double Faced Snake) देखने को मिलते है। यह प्रजाति काफी दुर्लभ मानी जाती है. जो अब धीरे धीरे खत्म की ओर है। इस दोमुहें सांप की डिमांड इन दिनों विदेशो में काफी देखी जा रही है। जिसके चलते अंतरराष्‍ट्रीय मार्केट (International Market) में दोमुंहा सांप की कीमत लाखों रुपये में मिल रही हैं. कहीं-कहीं तो लोग इनकी कीमत करोड़ों रुपये में भी देने को तैयार रहते  हैं। यानी यदि आप एक भी ऐसे दोमुहा सापं को बेचते है तो आपको करोड़पति बनने से कोई नही रोक सकता।  लेकिन इन सापों में ऐसी क्या खासियत होती है कि लोग मुहंमांगी कीमत देने को क्यो तैयार हो रहे है।

अब सोचने वाली बात यह है कि क्या वाकई में भारत में दोमुंहा सांप हैं या सिर्फ एक भ्रम है।

दोमुंहा सांप के बारे में कहा जाता है ये सिर्फ ईरान, पाकिस्तान और भारत के रेगिस्‍तानी इलाकों में पाए जाते हैं। इन्हें राजस्‍थान में भी देखा गया है। इन्‍हें जॉनी सैंड बोआ, रेड सैंड बोआ और ब्राउन सैंड बोआ के नाम से भी जानते हैं। इन सांपों की दुनियाभर में खूब डिमांड है। भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (Wildlife Protection Act) 1972 के तहत इन सांपों को दुर्लभ करार दिया गया है। यह संरक्षित प्राणी हैं और इनके पालने पर पूरी तरह पाबंदी है। ये जहरीले और आक्रामक स्वभाव के नहीं होते।

तो क्‍या सच में दोमुंहा होते हैं

एक्‍सपर्ट के मुताबिक, इंडियन रेड सैंड बोआ को लोग दोमुंहा सांप इसल‍िए कहते हैं क्योंकि कुछ हद तक वो ऐसा दिखता है

जान‍िए दोमुंहा साप की उपयोगिता

दोमुंहा सांपों की तेजी से हो रही तस्‍करी का सबसे बड़ा कारण यह है कि कई देशों के लोग इसे पालने के लिए रखते हैं। इसके पीछे अंधविश्वास है। कहा जाता है क‍ि इसे घर में रखने से किस्मत में बरकत होती है। बीमार‍ियां दूर दूर तक नहीं फटकतीं। साथ ही इन सापों का इस्तेमाल तांत्रिक क्रियाओं के लिए किया जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि इन सांपों का मांस खाने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है। लेकिन इसका वैज्ञान‍िक आधार कोई नहीं है। आज ये सांप लोगों के अधंविश्वास के चलते विलुप्त होते जा रहे है।