बेगूसराय शहर के अंडमान द्वीप समूह के नाम से मशहूर दियारा इलाका शाम्हो अकहा कुरहा प्रखंड में करीब 5 हजार एकड़ भूमि खेती करने के योग्य है। इसमें से लगभग 3 हजार एकड़ भूमि में सरसों की खेती की जाती है।
हमारे देश में सरसों का तेल सभी घरों में इस्तेमाल किया जाता है और यह तेल कई और मायनों में बहुत गुणकारी और लाभकारी है। इसलिए ही लोग बाजार में मिलने वाले मिलावटी सरसों तेल को खरीदने से ज्यादा अच्छा चक्की में तेल निकालना समझते हैं।
इसी आइडिया पर काम करने पर करने के लिए सैदपुर की सुमन कुमारी ने अपने पति राजेश को बताया था। इन दोनों ने इस आइडिया पर काम करते हुए सरसों के तेल पेराई का मिल खोल लिया और अब इनको इससे अच्छी खासी कमाई हो जाती है।
बिहार के निवासी सुमन कुमारी ने बताया कि उनके इलाके में काफी संख्या में किसान सरसों की ही खेती करते हैं। लेकिन उनको घर में इस्तेमाल करने के लिए बाजार से ही सरसों का तेल खरीदना पड़ता थाष इसलिए उनको लगा कि यहां पर उनको सरसों का तेल बनाने के लिए चक्की खोल लेनी चाहिए, जिससे लोगों को बाहर से तेली नहीं खरीदना पड़ेगा।
सिर्फ 60 हजार रुपए से शुरू किया बिजनेस
उन्होंने इस बारे में और बताया कि इसके लिए हमने जीविका से 50 हजार का कर्ज लिया और पति ने पड़ोसियों से 10 हजार का कर्ज लिया था। इस तरह से 60 हजार की लागत लगाकर हमने अपने गांव सैदपुर में ही तेल पेराई मिल लगा लिया। अब दोनों ने मिलकर रोजाना कम से कम 5 क्विंटल सरसों की पेराई कर लेते हैं। सुमन ने बताया कि इससे करीब 150 किलो तेल तैयार हो जाता है और फिर इसको थोक व्यापारी और खुदरा में ग्राहकों को बेच दिया जाता है।
सालाना होती है 6 लाख तक की कमाई
राजेश और सुमन के मुताबिक एक क्विंटल सरसों 4800 रुपए में किसानों से खरीदते हैं और पेराई करने के बाद इससे कम से कम 30 किलो तेल निकलता है, जो कि 150 रुपए की दर से 4500 रुपए का होता है। इसके साथ ही पेराई से निकली खल्ली भी 1500 रुपए में बिक जाती है। इस तरह से बिजली आदि का खर्च काटकर तेल और खल्ली को बेचकर महीने का 50 हजार और सालाना छह लाख रुपए तक आसानी से कमा लेते हैं। सुमन ने बताया कि हमारा शुद्ध सरसों का तेल पटना, लखीसराय और बेगूसराय जिले तक के व्यापारी और खुदरा ग्राहक खरीदते हैं।