नई दिल्ली। देश भर में इस वक्त सबसे गहरा मुद्दा इलेक्टोरल बॉन्ड का है। देश की जनता को मुश्किल से पता होगा कि ये मामला क्या है। आज देश के उच्चतम न्यायालय ने भी काफी सख्ती दिखाई है। सुप्रीम कोर्ट में आज सप्ताह के पहले ही दिन सोमवार को माहौल खासा नाटकीय जैसा रहा। कॉन्स्टीट्यूशन बेंच एसबीआई द्वारा पेश इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर पूरे मामले की सुनवाई चल रही थी। सुप्रीम कोर्ट में मामला एसबीआई के अधूरे आंकड़ों को लेकर दाखिल किया गया था। अधूरे आंकड़ों को लेकर एडवोकेट मैथ्यूज नेदुम्पारा और मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के बीच काफी ज्यादा बहस हो गई।

एडवोकेट नेदुम्पारा इस मामले में पूरी तरह से अपना हस्तक्षेप करना चाहता थे। वकील साहब का कहना था कि इलेक्टोरल बॉन्ड का मामला न्यायसंगत नहीं था। पॉलिसी मैटर पर भी बात रखी और बताया की यह तो कोर्ट के लिए नहीं था। कोर्ट ने वकील साहब को पूर्व की कोर्ट के कंटेम्प्ट को लेकर भी याद दिलाई।

वकील साहब नहीं मानने को तैयार

उच्चतम न्यायालय में जब वकील साहिब बोल रहे थे तो सीजेआई उनसे बात सुनने को कह रहे थे। लेकिन वकील साहब तो मानने को तैयार ही नहीं थे। वकील साहब सिर्फ अपनी बात को ही बोलते जा रहे थे। उनका कहना था कि मैं इस देश का नागरिक हूं। इतना सब सुनने के बाद चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने ऊँचे स्वर में कहा – मेरे ऊपर मत चिल्लाइए। इस पर वकील साहब खुद का ही बचाव करने लगे और कहने लगे, ‘नहीं-नहीं, मैं बहुत विनम्र हूं।’ बहस के दौरान जज साहब बोले की यह हाइड पार्क कॉर्नर मीटिंग नहीं है। वकील साहब आप इस समय कोर्ट में हैं। आपको एप्लीकेशन देना हैं तो दे दीजिए। आपने मेरा यह फैसला एक सीजेआई के रूप में सुना है। आपको एप्लीकेशन देनी है तो कोर्ट के नियमानुसार ईमेल कीजिए।

जस्टिस गवई ने किया हस्तक्षेप

जब वकील साहब नेदुम्पारा जी लगातार बोलते ही रहे तो जस्टिस बीआर गवई ने भी हस्तक्षेप किया। जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि आप न्यायिक प्रक्रिया को बाधित कर रहे हैं। लेकिन वकील साहब कहां मानने वाले थे, उसके उसके बाद भी एडवोकेट रुके नहीं। जब वकील साहब नहीं रुके तो बेंच ने कहा कि बहुत हुआ। अब हम आपको पूरी प्रक्रिया करने के बाद ही सुनेंगे। इसके बाद कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी और बार एसोसिएशन प्रेसीडेंट अदीश अग्रवाल के तर्क को सुनने से भी इनकार कर दिया। बता दें किएडवोकेट नेदुम्पारा को साल 2019 में कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का दोषी पाया था।