आपको पता होगा ही की भारत में ही सबसे ज्यादा मसालों की खेती की जाती है। भारत के कई राज्यों में मसालों की खेती बड़े स्तर पर की जाती है। इसके अलावा हमारे देश से विदेश में बड़ी मात्रा में मसालों को निर्यात किया जाता है। इस समय हम आपको इलायची की खेती के बारे में यहां जानकारी दे रहें हैं क्योकि इसकी खेती करके इस समय किसान लोग काफी ज्यादा लाभ प्राप्त कर रहें हैं। आइये अब आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
यहां होती है इलायची की खेती
आपको जानकारी दे दें की भारत के केरल, तमिलनाडु तथा कर्नाटक राज्य में इलायची की खेती बड़े स्तर पर की जाती है। असल में इन राज्यों में 1500 से लेकर 4000 मिमी तक बारिश होती है, जो की इलायची की खेती के लिए काफी लाभप्रद होती है। 10-35 डिग्री सेल्सियस में इलायची की फसल काफी अच्छा उत्पादन किसानों को प्रदान करती है। बता दें की इस फसल के लिए दोमट मिट्टी काफी ज्यादा फायदेमंद साबित होती है।
इसके अलावा लैटेराइट मिट्टी और अच्छी जल निकासी वाली काली मिट्टी भी इस फसल के लिए अच्छी मानी जाती है। इसकी खेती के लिए पहले इसकी नर्सरी को तैयार किया जाता है। आप एक हेक्टेयर खेत में एक किलो इलायची का बीज लगा सकते हैं। इसके पौधों को एक फीट की लंबाई होने के बाद लगाया जाता है तथा रोपाई के दो साल बाद ही पौधों में फल लगने लगते हैं।
इसके बाद प्रत्येक 15 से 25 दिन के अंतराल में इसके फलो की तुड़ाई होती है। पौधों की कटाई के बाद में ईंधन भट्टे में या धूप में सुखाया जाता है। इनको 2 प्रतिशत वाशिंग सोडा के घोल में 10 मिनट तक भिगो कर सुखाया जाता है ताकी इलायची का हरा रंग बरक़रार रहें। इनको 14-18 घंटे तक 45-50 डिग्री सेल्सियस तापमान पर सुखाया जाता है।
इतना होता है मुनाफ़ा
इलायची के सूख जाने के बाद में इसको कॉयर मैट या तार की जाली से रगड़ा जाता अहइ। इसके बाद में इनको रंग तथा आकार के अनुसार छांट लिया आजाता है। इसके बाद में किसान लोग इसको बाजार में सेल कर अच्छा मुनाफ़ा कमाते हैं। बता दें की बाजार में इसकी कीमत 1100 से लेकर 2000 हजार रुपए प्रति किलोग्राम है। इस प्रकार से किसान लोग इलायची की खेती कर अच्छा मुनाफ़ा कमाते हैं।