हमारे सनातन धर्म में नवरात्रि पर्व को बहुत ही शुभ और पवित्र माना गया है। इस नवरात्रि से ही हिंदूओं के नए साल की भी शुरूवात होती है और इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल से होने वाली है।

हमारी मान्यताओं के अनुसार, साल भर में चार नवरात्रि मनाई जाती है, जिनमें से 2 गुप्त और 2 प्रत्यक्ष नवरात्रि होती हैं। इनमें से एक चैत्र नवरात्रि होती है, जो कि चैत्र महीने में पड़ती है और दूसरी शारदीय नवरात्र होती है।

इस चैत्र नवरात्रि में मां जगतजननी के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा व आराधना की जाती है। नवरात्रों में मां की विधि पूर्वक पूजन, हवन करने से व्यक्ति के जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और दुखों से मुक्ति मिल जाती है।

इसके साथ ही आपके घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली भी आती है, इसलिए चैत्र नवरात्रि में घर के अंदर घट स्थापना करके मां आदिशक्ति का पूजन करना बहुत अच्छा माना गया है।

घट स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री
घट स्थापना के किए आवश्यक सामग्री को एकत्र कर लेना बहुत आवश्यक है। इसके लिए पंच पल्लव जिनमें आम का पत्ता, पीपल का पत्ता, बरगद का पत्ता, गूलर का पत्ता, उमर का पत्ता हो शामिल होता है। अगर पंच पल्लव न मिले तो सिर्फ आम के पत्तों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके साथ मिट्टी का कलश, मिट्टी के दीये, जवारे के लिए साफ मिट्टी, साफ जौ, गंगा जल, मौली, रोली, अक्षत, पुष्प, सिक्का, लाल-सफेद कपड़ा, पंचामृत, शहद, इत्र, घी, गुड़, धूप, कपूर, नैवेद्य, मिट्टी या पीतल का अखंड ज्योति के लिए दीया, नारियल और रुई की बाती आवश्यक होता है।

घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त
9 अप्रैल से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्रि में घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 5 मिनट से 10 बजकर 16 मिनट तक ही रहेगा। इन 4 घंटों के अंदर ही आपको अपने घरों में घट स्थापना करनी होगी।

कैसे करें घट स्थापना
घट स्थापना करने के पहले पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ़ कर लें और नवरात्र के पहले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें। इसके बाग शुभ मुहूर्त में ही घट को स्थापित करें, इसके लिए सबसे पहले मिट्टी के कलश के ऊपरी भाग में रोली लपेट दें, फिर कलश के अंदर जल भर के हल्दी, रोली, अक्षत, सिक्के को डाल दें। इसके बाद पंच पल्लव को रखें, और इसके ऊपर मिट्टी का सकोर रख दें। इस सकोरे के ऊपर नारियल को रख दें और इस घट के पास में ही नए कपड़े में माता की चौकी बना लें। इसके बाद गौर-गणेश की स्थापना करने के बाद घट पूजा शुरू करके मां का स्मरण करें। बाद में जौ बोएं, अखंड ज्योति जलाएं, चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, पंचामृत से मां को भोग लगाएं और भक्ति-भाव से मां की आरती करें।

जौ को अवश्य बोएं
इस नवरात्रि में कलश के सामने ही मिट्टी के पात्र में जौ बोए दीजिए। मान्यता के अनुसार सृष्टि की शुरूवात में सबसे पहले जौ की फसल उगाई गई थी, इसलिए इसको पूर्ण फसल कहा जाता है।