नई दिल्ली: अक्सर देखा जाता है घर में किसी सदस्य को बीमारी हो जाए, और सारे टेस्ट कराने के बाद भी उसमें कुछ ना निकले तो घर के लोग परेशान हो जाते है। लेकिन बीमारी बनी की बनी रहती है। बीमारी का कारण हम समझ नहीं पाते है, ऐसे में लोग डॉक्टर के साथ साथ भगवान से दुआ करने की सलाह देने लग जाते है।

लेकिन यह बात कम लोग जानते है कि बीमारी का घर में अचानक आना हो और लंबे समय तक बना रहना आपके घर का दोष हो सकता है। घऱ में होने वाले वास्तुदोष के चलते बीमारी को दवा से भी दूर नही किया जा सकता है। आइए जानते है वास्तु शास्त्र में शरीर को किस तरह से स्वस्थ रखा जा सकता है।

घर की गलग दिशा में बनी संरचना

आप जब भी घर बनाते है तो उस दौरान दिशा का बहुत ख्या रखना पड़ता है। यदि आपके घर का शौचालय या सीढ़ियां उत्तर-पूर्व दिशा में बनी हुई है तो ऐसे में घर की महिलाओं को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही इन लोगों को मस्तिष्क से जुड़ी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है।

घर की दिशाओं का महत्व है

घर की उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा पूरी तरह से बंद है तो ऐसे में व्यक्ति को बीमारियों का खतरा काफी बढ़ सकता है। इसलिए, उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशाओं को खुला रखना चाहिए।

घर की दीवारों का रंग

घर की दीवारों पर लगा रंग भी हमारी सेहत पर गहरा असर डालता है। उदाहरण के लिए यदि दीवारों पर रंग नीला या काला है तो वास्तुदोष निश्चित माना जाता है। वहीं पीला रंग वास्तु दोष को दो गुना तक बढ़ा सकता है।

जोड़ों का दर्द

घर की दीवारों पर बिल्कुल भी दाग-धब्बे नहीं होने चाहिए। ये आपके शरीर पर गहरा असर डालते है। आपको हमेशा कमर दर्द, जोड़ों में दर्द जैसी समस्याएं बना रह सकती हैं।

स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं

दक्षिण-पश्चिम दिशा में प्रवेश द्वार या बिल्कुल खुला स्थान होना दिल के दौरे या लकवे का बड़ा कारण बन सकता है। वहीं, इससे हड्डियों और स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां भी बढ़ सकती हैं।