अलवर जिले में 10 सितंबर को स्थानीय अवकाश घोषित किया गया है, जो पांडुपोल हनुमानजी के मेले के आयोजन के अवसर पर रखा गया है। यह मेला धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से बालाजी (हनुमानजी) के भक्तों के लिए है।

बजिला कलेक्टर ने पूरे जिले में स्कूलों और सरकारी कार्यालयों के लिए अवकाश घोषित किया है। इस मेले में हज़ारों भक्त शामिल होते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। यहां पर कई धार्मिक कार्यक्रम, भंडारा, और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं।

पांडुपोल हनुमानजी का मेला अलवर जिले के सरिस्का टाइगर रिज़र्व के पास स्थित पांडुपोल में आयोजित किया जाता है। यह स्थान विशेष रूप से हनुमानजी के पवित्र मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।

कैसे पड़ा पांडुपोल नाम

ह मेला हर साल हनुमानजी के भक्तों के लिए आयोजित किया जाता है। यहां हनुमानजी की एक अद्वितीय मूर्ति है जो उन्हें लेटे हुए रूप में है। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास के दौरान इस स्थान का दौरा किया था, जिससे इस स्थान को पांडुपोल नाम मिला।

कहां पर स्थित है धार्मिक स्थल

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अलवर जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों में पांडुपोल का नाम भी आता है। यहां हर साल काफी संख्या में पर्यटक आते हैं, जो कि अलवर-जयपुर मार्ग पर सरिस्का अभ्यारण्य क्षेत्र में स्थित है। यह अलवर शहर से करीब 55 किलोमीटर दूर है। इस मंदिर में आम दिनों में मंगलवार व शनिवार को भक्तों की भारी भीड़ दर्शन के लिए आती है।

हनुमान जी ने भीम से की थी मुलाकात

इस धार्मिक स्थल के बारे में मान्यता है कि महाभारत काल में जब पांडव अज्ञातवास के दौरान इस क्षेत्र में आए थे। तो भीम ने अपनी गदा से पहाड़ को तोड़ कर एक रास्ता बनाया था। यही स्थान पांडुपोल के नाम से प्रसिद्ध है। यही पर ही पांडव पुत्र भीम और हनुमानजी की मुलाकात हुई थी, और यहीं पर हनुमानजी ने भीम के शक्तिशाली होने का घमंड तोड़ा था। इस कारण भी यहां हनुमानजी को पूजा जाता है, यहां पर उनका एक प्रसिद्ध मंदिर है।