आज की मंहगाई के समय में लोग पैसे कमाने के लिए बहुत मेहनत करते हैं और सिर्फ एक जॉब से गुजारा नहीं होता। ऐसे में लोग कुछ ऐसा काम करना चाहते हैं जिससे आपकी अच्छी खासी कमाई हो सके।

ऐसे ही सुबोध साह, जो पहले तंबाकू की खेती किया करते थे, ने अपनी घटती आय और कम होती उपज से निराश होकर खेती का तरीका बदलने का फैसला किया। उनके एक दोस्त ने उन्हें कद्दू की खेती करने का सुझाव दिया। सुबोध ने इस सलाह पर अमल करते हुए शुरुआत में पांच कठ्ठा जमीन पर कद्दू की खेती की।

उनकी इस नई कोशिश से उन्हें उम्मीद से ज्यादा मुनाफा हुआ, जिससे उनका उत्साह बढ़ गया। पहली सफल फसल के बाद सुबोध ने कद्दू की खेती का विस्तार करते हुए एक एकड़ जमीन में इसकी बुवाई की।

कैसे की जाती है कद्दू की बुवाई

कद्दू की बुवाई का समय जून का महीना होता है। खेत की जुताई और खाद डालने के बाद पौधों को बांस के सहारे चढ़ाया जाता है ताकि वे तेजी से और व्यवस्थित तरीके से बढ़ सकें। लगभग 90 दिनों के भीतर कद्दू पूरी तरह से पककर तैयार हो जाता है और उसे तोड़ा जा सकता है।

हर दिन होता अच्छा खासा मुनाफा

सुबोध अब हर दिन 1000 से 1200 कद्दू तोड़ते हैं और उन्हें लालगंज की मंडी में बेचते हैं। कद्दू का बाजार मूल्य 14 रुपये प्रति पीस है, जबकि एक कद्दू उगाने में उन्हें लगभग 4 से 5 रुपये का खर्च आता है। इससे उन्हें प्रति कद्दू लगभग 9 से 10 रुपये का शुद्ध मुनाफा हो जाता है, जो अन्य फसलों की तुलना में काफी अधिक है।

कद्दू से लगातार बढ़ रही कमाई

सुबोध का कहना है कि कद्दू की खेती से जितनी कमाई होती है, उतनी किसी अन्य फसल से नहीं हो सकती। पिछले तीन वर्षों से वह लगातार कद्दू की खेती कर रहे हैं और उनकी कमाई स्थिर रूप से बढ़ रही है। कद्दू न केवल सब्जी के रूप में, बल्कि मिठाइयों और बीजों के लिए भी काफी डिमांड में है, जिससे यह एक लाभकारी फसल बन गई है।