हिन्दू पंचांग के अनुसार, अश्विन माह चल रहा है, जो पितृ पक्ष के साथ शुरू हुआ था। पितृ पक्ष के दौरान 16 दिनों तक श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कर्म किए जाते हैं, और इसका समापन सर्वपितृ अमावस्या पर होता है।

इस बार अमावस्या के दिन विशेष खगोलीय घटना के रूप में साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है। यह ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण न होकर वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जिसे रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है।

कब से कब रहेगा ग्रहण

ग्रहण का प्रारंभ 2 अक्टूबर को रात 9 बजकर 13 मिनट से होगा और इसका समापन 3 अक्टूबर की मध्यरात्रि 3 बजकर 17 मिनट पर होगा। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह खगोलीय घटना उन जगहों पर देखी जा सकेगी, जहां सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं। सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा के आने से सूर्य की रोशनी धरती तक नहीं पहुंच पाती, जिसे सूर्य ग्रहण कहा जाता है।

क्यों खास है ये ग्रहण

इस बार का सूर्य ग्रहण खास इसलिए है क्योंकि यह “रिंग ऑफ फायर” यानी अग्नि के छल्ले का नजारा प्रस्तुत करेगा। जब चंद्रमा पृथ्वी से दूर होता है तो उसका आकार छोटा लगता है, जिससे वह सूर्य को पूरी तरह ढक नहीं पाता। इस वजह से सूर्य के चारों ओर एक चमकता हुआ छल्ला दिखाई देता है, जो रिंग ऑफ फायर कहलाता है। इस अद्भुत नजारे को देखना एक खगोलीय चमत्कार जैसा होता है, लेकिन यह कुछ स्थानों पर ही देखा जा सकेगा।

खास नजारा

रिंग ऑफ फायर की अवधि भले ही तीन घंटे तक हो सकती है, लेकिन असली नजारा सिर्फ कुछ सेकेंडों के लिए दिखाई देगा। इस सूर्य ग्रहण को दक्षिणी अमेरिका, अर्जेंटीना, चिली, फिजी और प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा। हालांकि, भारत में इस खगोलीय घटना को नहीं देखा जा सकेगा।