नई दिल्ली। भारत के पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह की शानदार बल्लेबाजी को देख हर दर्शक हैरान हो जाता था। विश्वकप में उन्होने शानदार जीत दिलाकर वर्ल्ड कप का खिताब देश के नाम किया था। कैंसर होने के बाद वो खेल से दूर होने लगे। अब वो खेल से ज्यादा पर्सनल लाइफ को लेकर हमेशा चर्चा मे रहते है। क्योंकि उनके पिता योगराज सिंह के बयान आए दिन सुर्खियों में बने रहते हैं। ऐसा ही एक बयान ने हल चल मचा दी है जिसमें उन्होने कपिल देव को जान से मारने की बात कही है।
टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह ने हाल ही में दिए एक बयान में कहा है कि वो यह बात भले ही पुरानी हो गई हो, लेकिन वो कपिल देव से ऐसी नफरत करते थे कि उन्हें जान से मारने के लिए वो बंदूक लेकर उनके घर तक गए थे। लेकिन कपिल देव की मां के चलते उन्हें वहां से खाली हाथ लौटना पड़ा था।
कपिल देव को मारने बंदूक लेकर पहुंच गए थे योगराज
योगरा सिंह ने एक इंटरव्यू में बातचीत करते हुए कहा, ‘यह बात उस समय की है जब कपिल देव भारत, उत्तरी क्षेत्र और हरियाणा के कप्तान बने, उस दौरान उन्होंने मुझे बिना किसी कारण के टीम से बाहर कर दिया। जिससे मुझे काफी नराजगी हुई। मेरी पत्नी ने कपिल से बात करन का सुक्षाव भी दिया,लेकिन इस बात का गुस्सा इतना था कि मै बातचीत से नही उन्हें जान से मारकर इस मसले को हल करना चाहता था। इसके लिए मैंने अपनी पिस्तौल निकाली और सीधे कपिल के घर सेक्टर 9 पहुंच गया। जैसे ही उसके घर पहुंचा तो वो अपनी मां के साथ बाहर खड़े थे। मैंने उसे दर्जनों गालियां दीं। मैंने उससे कहा, तुम्हारी वजह से मैंने एक दोस्त खो दिया है, और तुमने जो किया है, उसकी कीमत तुम्हें चुकानी पड़ेगी’।
योगराज ने नहीं चलाई गोली
योगराज ने आगे बताया कि उन्होंने कपिल देव की मां के चलते उन्हें उस दिन गोली नहीं चलाई थी। लेकिन इस बात का अभास कपिल को करा दिया था कि ‘मैं तुम्हें आज गोली मारना आया था, लेकिन मैं ऐसा नहीं करूंगा क्योंकि तुम्हारी एक बहुत ही पवित्र मां है, जो यहां खड़ी है’। इसके बाद योगराज अपनी पत्नी के साथ लौट आए।
योगराज सिंह ने खेलें 7 इंटरनेशनल मैच
युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह के क्रिकेट करियर के बारे में बात करे तो उन्होनें 1980 में वनडे डेब्यू और साल 1981 में टेस्ट डेब्यू किया था। जिसमें उन्होने भारत के लिए एक टेस्ट खेलते हुए एक विकेट लिया। वहीं छह वनडे मैचों में योगराज ने 4 विकेट लिए। इसके बाद साल 1981 में ही उनके इंटरनेशनल करियर का अंत भी हो गया। वे क्रिकेट में अपना करियर बनाना चाहते थे लेकिन उन्होंने निराशा हाथ लगी। उनका करियर महज 7 मैचों में सिमट कर रह गया।