नई दिल्ली। बारिश के मौसम में कचरे में कई तरह के पौधे निकलते है। जिनमें से कुछ उपयोगी होते है तो कुछ बेकार पड़े होते है। इन्ही में एक ऐसा पौधा है जो ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा पाया जाता है। और इसके लोग सेहत को दुरूस्त करने के लिए करते है। हम जिस पैधे की बात कर रहे है वो है  काचरी जो मध्यप्रदेश से लेकर राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा पाई जाती है। काचरी एक जंगली बेल होती है, जिसके फल को लोग सब्जी की तरह बनाते है। इस काचरी को खाने से कई बड़ी बीमारी से निजात मिलता है।

काचरी को लोग सुखा कर रखते है। यह स्वाद में खट्टी मीठी होती है। इससे चटनी, और अचार भी बनाई जाती है। इस जंगली लता के पत्ते ककड़ी जैसे होते हैं और फूल पीले रंग के होते हैं। काचरी को भूख बढ़ाने वाला फल भी माना जाता है इसमें मौजूद फाइबर पाचन क्रिया को मजबूत रखता है।

एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर कचरी का सेवन करने से इम्यून सिस्टम मज़बूत होता है. इसके अलावा काचरी में प्रोटीन होता है, जो मांसपेशियों को मज़बूती बनाने का काम करता है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम, ग्लूकोज़ और इंसुलिन के मेटाबॉलिज़्म में मदद करता है. यह मधुमेह रोग के लिए फायदेमंद मानी जाती है।

काचरी का सेवन करने से पेट से जुड़ी समस्याएं दूर की जा सकती हैं. यह गैस,अपच, कब्ज जैसी परेशानी को दूर करता है। इसके अलावा इसमें मौजूद पोषक तत्व भूख बढ़ाने में सहायक होते हैं। कचरी शरीर में मौजूद पथरी को तोड़कर बाहर निकालने में मदद करती हैं। आयुर्वेद में इस फल का बड़ा महत्व माना जाता है।