आपको बता दें की अब नियोजित शिक्षक अपने पसंदीदा स्कूलों में अपना ट्रांसफर करा सकेंगे। यह कार्य 18 साल के लंबे इंतजार के बाद हुआ है लेकिन इससे शिक्षक वर्ग काफी खुश नजर आ रहा। है बता दें की बिहार में नई ट्रांसफर पॉलिसी की शुरुआत हुई है। जिसका यह लाभ नियोजित शिक्षकों को मिल रहा है।

इस सुविधा के कारण शिक्षक तथा शिक्षकों से जुड़े संगठनों ने नीतीश कुमार सरकार की नई पॉलिसी का स्वागत किया है। आपको बता दें की साल 2006 में इन शिक्षकों का पहली बार नियोजन हुआ था। तभी से इन शिक्षकों खासकर महिला शिक्षकों की यह मांग रही है की उन्हें तबादले का मौक़ा दिया जाना चाहिए।

सोमवार को स्थांतरण तथा पदस्थापन नीति के लागू होने से इन सभी शिक्षकों का सपना पूरा हो जाएगा। हालांकि ट्रांसफर का पात्र बनने के लिए इन शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा को पास करना होगा। वर्तमान समय की बात करें तो बता दें की 1 लाख 87 हजार शिक्षकों ने इस परीक्षा को पास किया हुआ है।

इन शिक्षकों को भी मिली खुशखबरी

आपको जानकारी दे दें की बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित शिक्षकों के लिए भी बड़ी खुशखबरी सामने आई है। असल में इन शिक्षकों के ट्रांसफर का मार्ग भी अब खुल गया है। बता दें की इस प्रकार के शिक्षक अब चयन के एक साल अंदर ही ट्रांसफर ले सकते हैं। बता दें की आयोग के माध्यम से चयनित शिक्षकों संख्या करीब पौने दो लाख है।

जानकारी दे दें की नियोजित शिक्षकों के लिए जुलाई 2020 में एक स्थानांतरण कानून बना था। जिसके तहत शिक्षक एक बार जिले से बाहर ट्रांसफर ले सकते थे। हालांकि इस नियम के तहत ट्रांसफर नहीं हो पाए थे। वहीं पुराने तथा नियमित वेतनमान वाले शिक्षकों के ट्रांसफर का प्रावधान पहले से ही था।

शिक्षक संघो ने क्या कहा

बिहार प्रदेश बेसिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष केशव कुमार का कहना है कि सरकार लंबे इंतजार के बाद स्थानांतरण नीति को लायी है। लेकिन इस नीति में प्रत्येक 5 साल शिक्षकों के अनिवार्य तबादले का नियम भी है। जिसके कारण शिक्षकों की समस्या और ज्यादा बढ़ेगी।

दूसरी और कई जिलों में एक अनुमंडल है। इसके कारण शिक्षकों की जिले से बाहर जाने में बाध्यता भी बढ़ेगी। अतः इसमें बदलाव होना चाहिए। वहीं एक अन्य शिक्षक संघ ने इस नीति को जटिल बताया है। शिक्षक संघ के अध्यक्ष मार्कण्डेय पांडेय कहते हैं कि इस नीति में मानवीय पहलू पर विचार नहीं किया गया है।