नई दिल्ली। हस्त रेखा ज्ञान हमारे देश में सदियों से चला रहा है। हस्त रेखा के अध्ययन के लिए सामुद्रिक शास्त्र के नाम से  जुड़ी कई किताबें हैं, जिसमें आपकेी किस्मत का लेखा जोखा आपके हाथ और पैर की लकीरों से पता चल जाता है। मुद्रिक शास्त्र में माथे की लकीरें, हाथ की लकीरों,के साथ  पैरों की लकीरों से भविष्य की गणना की जाती है, और इससे स्त्री या पुरुष के भाग्य का लेखा जोखा तैयार किया जाता है। साधारण तौर पर हस्त रेखा को ही सामुद्रिक ज्ञान के रूप में जाना जाता है लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग है। समुद्र शास्त्र के अंतर्गत हाथ पैर और मस्तक की रेखाओं को भी अध्ययन किया जाता है।

ऐसी भी मान्यता है कि पुरुष के दाएं हाथ और दाएं पैर की रेखाएं और स्त्री के बाएं हाथ और पैर की रेखाओं की गणना की जाती है। लेकिन जानकारों का ऐसा मानना है कि दाहिने और बाएं दोनों हाथ की रेखाएं मान्य होती हैं इसी तरह से स्त्रियों में बाएं और दाहिने दोनों हाथ के रेखाओं की मान्यता होती है।

1- सामुद्रिक शास्त्र में भाग्य रेखा को पद्मा रेखा के नाम से जाना जाता है। कलाई के पास से उंगलियों के पास तक जाने वाली बड़ी और गहरी रेखा को भाग्य रेखा कहा गया है यह रेखाएं जितनी गहरी होगी भाग्य उतना प्रबल माना जाता है।
2- सामुद्रिक शास्त्र में ऐसी भी मान्यता है कि यदि जातक चाहे वह स्त्री हो या पुरुष उसके पैर के मध्य से तीन रेखाएं निकलकर उंगलियां तक पहुंचे तो वह अत्यंत भाग्यशाली माने जाते हैं।
3- यदि पैर के पंजे से निकलने वाली रेखा सीधी उंगलियां तक पहुंचे और गहरी हो तो ऐसा जातक भाग्यशाली माना जाता है। वही पंजे के बीच से निकलने वाली रेखा अनामिका तक पहुंचे तो ऐसा जातक आलसी होता है वह कर्मठ नहीं माना जाता है।
4- यदि किसी जातक के पैर के अंगूठे के नीचे से सीधी रेखा निकलती है तो ऐसा जातक भाग्यशाली, पराक्रमी, और बुद्धिजीवी व धनवान होता है।
5- सामुद्रिक सामुद्रिक शास्त्र में यह भी कहा गया है यदि किसी जातक के तलवे के बीचो-बीच से निकलने वाली रेखा के समानांतर दूसरी रेखा भी निकाल कर उंगलियां तक पहुंचती है तो ऐसा व्यक्ति संपन्न, एश्वर्या पूर्ण जिंदगी जीता है।