हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के बाद आने वाली नरक चतुर्दशी, जिसे “छोटी दिवाली” भी कहा जाता है, इस वर्ष 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
यह पर्व दीपोत्सव के एक महत्वपूर्ण भाग के रूप में शुमार किया जाता है, जिसमें दिवाली से पहले की दिनचर्या और धार्मिक महत्व दोनों ही महत्वपूर्ण होते हैं।
महत्वपूर्ण तिथियां और शुभ मुहूर्त
नरक चतुर्दशी की तिथि 30 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट से आरंभ होगी और अगले दिन, 31 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन विशेष रूप से संध्या के समय दीप जलाने की परंपरा है। दीप जलाने का यह कार्य न केवल पवित्रता का प्रतीक है, बल्कि यह अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने का भी संकेत है।
नरक चतुर्दशी का महत्व
इस दिन का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन नरकासुर का वध किया था, जिससे संसार को आतंक से मुक्ति मिली। इस दिन प्रात: काल स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति का वरदान प्राप्त होता है। गंगाजल और अपामार्ग के पानी से स्नान करने पर भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। नरक चतुर्दशी पर भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होने की भी मान्यता है।
शुभ योग और पंचांग
इस बार नरक चतुर्दशी पर मंगलकारी प्रीति योग और दुर्लभ शिववास योग का संयोग बना है। इन योगों के प्रभाव से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और यम देवता की उपासना करने से अभय वरदान प्राप्त होगा।
पंचांग के अनुसार, सूर्योदय सुबह 06 बजकर 32 मिनट पर होगा, जबकि सूर्यास्त शाम 05 बजकर 36 मिनट पर होगा। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 49 मिनट से 05 बजकर 41 मिनट तक रहेगा, जबकि विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 55 मिनट से 02 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 36 मिनट से 06 बजकर 02 मिनट तक और निशिता मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।