भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेली जा रही टेस्ट सीरीज काफी रोमांचक लग रही है। टेस्ट में सबसे कम स्कोर पर पार का एन्ड होना भी इंडिया के खाते में रहा। इंडियन क्रिकेट टीम पहले से काफी मजबूत दिखाई दे रही है। बांग्लादेश को रुलाने के बाद न्यूजीलैंड के सामने लड़खड़ाती हुई दिख रही है। एक टेस्ट मैच हारने के बाद दूसरा टेस्ट मैच भी 113 से टीम इंडिया गँवा चुकी है। टीम इंडिया को देखकर लग रहा है कि टेस्ट का स्वाद शायद भूल से गए हैं। टेस्ट खेलने वाले क्रिकेटरों को लेकर जाना चाहिए था। जब टीम में रहाणे जैसे खिलाड़ी आने को आतुर हैं तो उन्हें मौका दिया जाना चाहिए। भारतीय क्रिकेट 20-20 जैसा ही हो गया है।
DRS के लिए मम्मी की कसम खानी पड़ी
न्यूजीलैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच की पहली पारी में यह माजरा देखने को मिला। रोहित शर्मा विकेटकीपर पर भरोसा रखते हैं। डीआरएस के मामले में रोहित काफी संजीदा हैं। गेंदबाज और खिलाड़ी डीआरएस की मांग करते हैं, लेकिन रोहित का मिजाज नहीं बदलता। पहली पारी में रविचंद्रन अश्विन की गेंदबाजी में यह देखने को मिला। अश्विन की गेंद Devon Conway के गलप्स और बल्ले का किनारा लेकर ऋषभ पंत के हाथों में चली गई। जोरदार अपील के बाद अम्पायर ने नॉट आउट करार दे दिया। इसके बाद डीआरएस की मांग की गई, जिसमें खिलाड़ी सरफराज ने मम्मी की कसम खा ली। डीआरएस में खिलाडियों की अपील सही पाई गई। अम्पायर ने आउट करार दिया।
टेस्ट के लिए अलग होनी चाहिए टीम
टेस्ट खिलाड़ियों में पुजारा और रहाणे जैसे खिलाड़ी होने चाहिए। पुरानी बल्लेबाज और गेंदबाज ही नैया पार लग सकते हैं। बीसीसीआई को भी टेस्ट क्रिकेट पर जोर देना चाहिए। टेस्ट क्रिकेट में आज भी विदेशी टीमें अच्छी खासा मजबूत है। आईपीएल आने के बाद से सभी खिलाड़ी पैसे वाले हो गए। उन्हें किसी टेस्ट से मतलब ही नहीं रहा। टेस्ट क्रिकेट के समय रेस्ट लेने पर भी पाबंधी लगनी चाहिए। वनडे और टेस्ट की टीम के लिए अनुभवियों को प्राथमिकता देनी चाहिए।