Govardhan-Puja
Govardhan-Puja

सनातन धर्म में गोवर्धन पूजा का पर्व विशेष महत्व रखता है। हर साल दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा मनाई जाती है, जब भगवान श्रीकृष्ण को उनकी दिव्य शक्ति के लिए पूजित किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से गोबर से श्रीकृष्ण की आकृति बनाकर पूजा की जाती है, और उन्हें उनके प्रिय व्यंजन भोग में अर्पित किए जाते हैं। इस धार्मिक अनुष्ठान के साथ सुख, समृद्धि, और सफलता का आशीर्वाद प्राप्त करने का विश्वास है।

गोवर्धन पूजा का महत्व

गोवर्धन पूजा का पौराणिक महत्व गहराई से जुड़ा हुआ है। कथा के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव के अहंकार को समाप्त करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठा लिया था। इंद्रदेव द्वारा की गई भारी वर्षा से ब्रजवासियों को बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने सात दिनों तक पर्वत उठाकर उन्हें सुरक्षित रखा। इस चमत्कार के बाद, ब्रजवासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा आरंभ की और श्रीकृष्ण को भोग अर्पित किए। यही कारण है कि इस दिन को गोवर्धन पूजा के रूप में मनाने की परंपरा है।

कब मनाया जाएगा गोवर्धन पूजा

इस साल, 02 नवंबर को गोवर्धन पूजा का आयोजन किया जाएगा। पंचांग के अनुसार, प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 01 नवंबर को शाम 6:16 बजे से होगी और इसका समापन 02 नवंबर को रात 8:21 बजे पर होगा। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6:34 से 8:46 तक है। इसके अतिरिक्त विजय मुहूर्त दोपहर 2:09 से 2:56 तक, संध्याकालीन मुहूर्त 3:23 से 5:35 तक और गोधूलि मुहूर्त शाम 6:05 से 6:30 तक रहेगा।

इस दिन त्रिपुष्कर योग भी रहेगा, जो रात 8:21 बजे से शुरू होकर 3 नवंबर को सुबह 5:58 बजे तक रहेगा। इस योग में पूजा करने से अनेक गुना अधिक पुण्यफल की प्राप्ति होती है।