नई दिल्ली।  राजस्थान की  सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखने के लिए कई तरह के विकास कार्य केिए जा रहे है जिससे इस संंस्कृति के रंग में रंगने के लिए दूर देश के लोग भी आकर्षित होकर खीचे चले आते है। अब इस तरह के प्रयास राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भी देखने को मिलेगें। जिसके तहत अब विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है। अब नए पाठ्यक्रम के तहत विद्यार्थी दर्शनशास्त्र में वेद और उपनिषद के पाठ्यक्रम में करपात्री महाराज की दो पुस्तकें ‘गोपी गीत’ और ‘वेद का स्वरूप और प्रमाण’ को शामिल किया जा रहा है।

जिसमें इन विषयों में विद्यार्थियों को पास होना अनिवार्य है। राजस्थान विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अल्पना कटेजा ने इस संबंध में मीडिया को जानकारी देते हुए कहा है कि करपात्री महाराज की दो पुस्तकें ‘गोपी गीत’ और ‘वेद का स्वरूप और प्रमाण’ वेदों और उपनिषदों के पाठ्यक्रम में शामिल होने से विद्यार्थी सनातन घर्म के बारे मे जानेगें। जिनसे वो कोसो दूर हो चुके है।

कंपलसरी वैल्यू ऐडेड पाठ्यक्रम

दर्शनशास्त्र विभाग के सहायक प्रोफेसर अनुभव वार्ष्णेय ने बताया- भारतीय ज्ञान परंपरा और शास्त्रीय साहित्य में यूजी और पीजी स्तर के पाठ्यक्रमों में भी इसी तरह का बदलाव हो रहा हैं। दर्शनशास्त्र में भारतीय मूल्य प्रणाली मॉड्यूल की संरचना की गई है। जिसे यूजी के प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को पढ़ाया जाना शुरू कर दिया गया है।

इसी तरह पीजी में दर्शनशास्त्र के प्रथम और द्वितीय सेमेस्टर के विद्यार्थियों के लिए शास्त्रीय भारतीय दर्शन के पाठ्यक्रम में बदलाव किया जा रहा है। इस वर्ष से वैदिक ग्रंथों के माध्यम से पढ़ाए जाने वाले सभी प्रश्नपत्र को हल करना  अनिवार्य किया गया है। यानी इसे कंपलसरी वैल्यू ऐडेड पाठ्यक्रम के रूप में पढ़ाया जाएगा। इन सभी पेपरों को उत्तीर्ण करना अनिवार्य है।