नई दिल्ली: Dhanteras Pooja 2024: शिव की नगरी काशी, जिसका महत्व पौराणिक ग्रन्थों में भी मौजूद है। यहां आज भी प्राचीन परंपराओं का लोग पालन करते हैं। यदि हिन्दू धर्म के सबसे बड़े पर्व दीपावली की बात करें तो, यहां दीपावली के पर्व को मनाने का भी खास परंपरा है। यह पौराणिक परंपरा आज भी यहां प्रचलित है और लोग इसका शक्ति से पालन करते हैं । इन परंपराओं को भले दूसरी जगह हैरानी से देखा जाए लेकिन वाराणसी में इनका खास महत्व है।
दीपों के पर्व दीपावली पर काशी में माता लक्ष्मी की पूजा की शुरुआत अन्न की देवी मां अन्नपूर्णा की आराधना से शुरू होती है। यहां माता अन्नपूर्णा का प्राचीन मंदिर है जहां धनतेरस के दिन प्रसाद में खजाना वितरण की प्राचीन परंपरा है उसका आज भी एलन होता है। हमेशा की तरह इस बार भी माता अन्नपूर्णा के मंदिर में धनतेरस पर खजाना बांटा जाएगा, यहां खजाना वितरण का महत्व यह है कि श्रद्धालुओं के पास पूरे साल धन वैभव और समृद्धि बनी रहे।
प्रसाद में मिलता है सिक्का और लावा:
आपको बतादें, दीपावली के पर्व की शुरुआत वाराणसी में धनतेरस पर होने वाले माता अन्नपूर्णा के दर्शन और पूजन से होती है। माता अन्नपूर्णा के दरबार में हाजिरी लगाने वालों को प्रसाद के रूप में लावा और सिक्का मिलता है। इस मंदिर को लेकर यह मान्यता प्रचलित है कि जो प्रसाद यहां प्राप्त होता है यदि उसे अपने खजाने में रखें पूरे साल घर में सुख समृद्धि और आर्थिक संपन्नता बनी रहती है।
आपको बता दें 2024 में धनतेरस 29 अक्टूबर को पड़ रहा है। इसी लिए 29 अक्टूबर से ही माता अन्नपूर्णा के मंदिर में माता के स्वर्णिम प्रतिमा के दर्शन होंगे। और अन्नपूर्णा माता के दर्शन पांच दिनों तक श्रद्धालुओं को होते रहेंगे। दीपावली के पवित्र अवसर पर श्रद्धालु लगातार 5 दिन तक माता अन्नपूर्णा के स्वर्णिम प्रतिमा के दर्शन कर खजाना प्राप्त करते रहेंगे।