Hanuman Jayanti 2025: आज पूरे देश में हनुमान जयंती का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती मनाई जाती है। शास्त्रों में संकटमोचन हनुमान को बाल ब्रह्मचारी के रूप में जाना जाता है। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि हमारे देश में एक ऐसा अनोखा मंदिर भी है, जहां हनुमान जी के साथ उनकी पत्नी सुवर्चला की भी पूजा की जाती है? आइए, आज हम आपको देश के इस विशेष मंदिर के बारे में बताते हैं।
ये अनोखा मंदिर श्री सुवर्चला सहिता हनुमान मंदिर है, जो तेलंगाना राज्य के खम्मम जिले के एलंदु गांव में स्थित है। इस मंदिर में भगवान हनुमान और उनकी पत्नी सुवर्चला देवी की एक साथ पूजा की जाती है। मंदिर के पुजारी पी. सिम्हा आचार्युलु के अनुसार, ये मंदिर न सिर्फ दक्षिण भारत में बल्कि पूरे भारत में एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां हनुमान जी और उनकी पत्नी सुवर्चला देवी की उपासना की जाती है। इस मंदिर की स्थापना साल 2006 में हुई थी। हर साल यहां के स्थानीय लोग ज्येष्ठ शुद्ध दशमी पर भगवान हनुमान के विवाह का उत्सव मनाते हैं। हालांकि, उत्तर भारत में रहने वाले लोगों के लिए ये बात थोड़ी हैरानी भरी हो सकती है, क्योंकि वहां तो भक्त हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी के रूप में ही पूजते हैं।
मंदिर के पुजारी पी. सिम्हा ने इस अनोखी परंपरा के पीछे की कहानी भी बताई। उन्होंने कहा कि हनुमान जी सूर्य को अपना गुरु मानते थे और सूर्यदेव के पास 9 दिव्य विद्याएं थीं। हनुमान जी उन सभी विद्याओं का ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे। लेकिन सूर्यदेव हनुमान जी को 9 में से सिर्फ 5 विद्याएं ही सिखा सकते थे, क्योंकि बाकी की 4 विद्याएं केवल विवाहित शिष्यों को ही दी जा सकती थीं।
चूंकि हनुमान जी अविवाहित थे, इसलिए सूर्यदेव को उन्हें शेष चार विद्याएं सिखाने में मुश्किल आ रही थी। दरअसल, विद्या ग्रहण के दौरान हनुमान जी को कुछ समय के लिए गृहस्थ जीवन बिताना जरूरी था और इसके लिए उनका विवाहित होना भी आवश्यक था। तब सूर्यदेव को एक उपाय सूझा और उन्होंने हनुमान जी को विवाह करने का सुझाव दिया। पहले तो हनुमान जी विवाह के लिए बिल्कुल राजी नहीं हुए। लेकिन जब उन्हें पता चला कि बाकी की 4 विद्याएं सिर्फ एक विवाहित व्यक्ति को ही मिल सकती हैं, तो उन्होंने विवाह के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। इसके बाद हनुमान जी के गुरु सूर्य भगवान ने अपनी पुत्री सुवर्चला का विवाह हनुमान जी के साथ करा दिया।
Hanuman ji ki patni ka name
विवाह से पहले हनुमान जी ने सूर्य देव से कहा था, “मैं तो बाल ब्रह्मचारी हूं, फिर मैं विवाह कैसे कर सकता हूं?” तब सूर्य भगवान ने उत्तर देते हुए कहा कि आप मेरी पुत्री से विवाह करने के बाद भी ब्रह्मचारी और तपस्वी ही रहेंगे। इसके बाद सूर्य भगवान की पुत्री सुवर्चला देवी के साथ हनुमान जी का विवाह हो गया। हालांकि, विवाह के बाद दोनों अपनी-अपनी तपस्या के लिए वापस लौट गए। वो विवाह केवल हनुमान जी को शेष सिद्धियों का ज्ञान प्राप्त कराने के लिए ही कराया गया था।
ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त हनुमान जी और देवी सुवर्चला को समर्पित इस मंदिर में सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है, उसके जीवन की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। खासकर विवाह से जुड़ी परेशानियां दूर हो जाती हैं और बजरंगबली के आशीर्वाद से रुके हुए काम-धंधे और व्यापार में भी तेजी आती है। यही वजह है कि भक्त दूर-दूर से यहां हनुमान जी और देवी सुवर्चला का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं।