धन त्रयोदशी, जिसे धनतेरस के नाम से जाना जाता है, दिवाली से ठीक पहले मनाया जाता है और इस दिन का विशेष महत्व है। यह पर्व देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा के लिए समर्पित है, जिन्हें समृद्धि और आरोग्य का प्रतीक माना जाता है। हिंदू परंपरा के अनुसार, इस दिन सोना, चांदी, आभूषण और महंगे सामान खरीदने की परंपरा है, जिससे घर में धन और वैभव का आगमन होता है।

लोगों का मानना है कि धनतेरस पर घर में नई वस्तुएं लाने से देवी लक्ष्मी की कृपा होती है और परिवार में समृद्धि आती है। इस दिन सोने की विशेष खरीदारी की जाती है, परंतु जो लोग सोना नहीं खरीद सकते, उनके लिए नमक और गुड़ खरीदना भी शुभ माना जाता है।

नमक और गुड़ खरीदने का धार्मिक महत्व:

सिद्धांती शर्मा लक्ष्मी नरसिम्हा चारी के अनुसार, धनतेरस पर नमक और गुड़ खरीदना सोने के समान ही शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में नमक और गुड़ को असली अम्मावारु (माता) के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इस दिन इनका खरीदना देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की कृपा प्राप्त करने के लिए पर्याप्त है। यह परंपरा समुद्र मंथन की कथा से जुड़ी हुई है, जब भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए, धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा का भी विशेष महत्व है।

धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा विधि:

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना और नए वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। घर के पूजा स्थल में धन लक्ष्मी या पारा लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित की जाती है। सोने-चांदी के आभूषणों को दूध से धोकर पानी से साफ किया जाता है और इन्हें धन लक्ष्मी की पूजा में शामिल किया जाता है। पूजा के दौरान हल्दी, केसर, फूल, फल, गुड़ और विशेष अनुष्ठान सामग्री का उपयोग किया जाता है।

धनतेरस पर घर की महिलाएं विशेष पूजा-अर्चना करती हैं, जिससे घर में धन-संपत्ति और सुख-समृद्धि का वास होता है। पुरोहितों के अनुसार, इस दिन विधिपूर्वक की गई पूजा से देवी लक्ष्मी की संपूर्ण कृपा प्राप्त होती है और जीवन में समृद्धि और शांति बनी रहती है।