नई दिल्ली।  Lohri: मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाई जाने वाली लोहड़ी का त्योहार पंजाब से लेकर हरियाणा प्रांत मे बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार को मनाने से पहले जान लें कि लोहड़ी का अर्थ क्या है ‘ल’ का अर्थ है लकड़ी, ओह का अर्थ उपले, और ड़ी का मतलब रेवड़ी।  इन तीनों को मिलाकर तैयार हुआ है लोहड़ी पर्व । इस पर्व को मनाने के पीछे कई सारी पौराणिक कहानियां और ऐतिहासिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। लेकिन इस पर्व को मनाने के सबसे बड़ा कारण प्रकृति के प्रति अपना आभार व्यक्त करना और नई फसल का स्वागत करना माना गया है। यदि आप शादी के बाद अपनी पहली लोहड़ी मना रहे हैं, तो इसके लिए कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है। आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से..

लोहड़ी का पर्व को किसानों का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। जिसमें किसान इस दिनों अपनी कटी हुई फसल को अग्नि देवता को अर्पित करके जश्न मनाते हैं इसके अलावा यह पर्व वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक भी माना गया है। लोहड़ी की रात को साल की सबसे लंबी रात माना जाता है। इस दिन के बाद से दिन लंबे और रात खोटी होना शुरू हो जाती हैं। लोहड़ी के दिन नई नवेली दुल्हन को खास श्रृंगार करके कुछ चीजों को अग्नि देव को अर्पित करना शुभ माना जाता है।

लोहड़ी के दिन नवनवेली दुल्हन को पूरा श्रृंगार करना चाहिए।

रात को लोहड़ी की अग्नि में तिल, गुड़, रेवड़ी आदि डालकर बड़े-बुजूर्गों का आशीर्वाद लेंना चाहिए, ऐसा करन से नवविवाहिताओं को वैवाहिक जीवन सुख-समृद्धि से भरा रहता है।

लोहड़ी के दिन इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि नवविवाहित महिलाएं इस दिन खासकर लाल, गुलाबी और पीले रंग के वस्त्र को धारण करें। इस दिन भूलकर भी काले रंग वस्त्र ना पहने। बंसत ऋतु की खास बेला में रंगों का विशेष महत्व होता है। यह जीवन में रंग और खुशियों से भरने वाला माह होता है। इसलिए रंग बिरंगे वस्त्र पहनना इस दिन शुभ माना जाता है।