नई दिल्ली। Narak Chaturdashi 2024: कार्तिक कृष्ण की चतुर्दशी तिथि के दिन नरक चतुर्दशी, यानि की छोटी दिवाली मनाए जानें का विधान है। इस तिथि के दिन मृत्यु के देवता और सूर्य पुत्र यमराज की पूजा की जाती है। इस दिन यमराज के लिए घरों के बाहर दक्षिण दिशा में दीपक जलाया जाता है, जिसे यम दीपक के नाम से जाना जाता है।

कहा जाता है कि जो लोग आज के दिन यानि की नरक चौदस को दक्षिण दिशा की ओर दीपक रखते है उनके घर में किसी सदस्य की अकाल मृत्यु नहीं हो सकती है। साथ ही परिवार में खुशहाली के साथ समृद्धि बनी रहती है। लेकिन यम के देवता को  दीपक जलाने का सही तरीका भी आना चाहिए, तभी आपको इसका अच्छा फल प्राप्त हो सकती है। चलिए जानते है,यम को दीपक जलाने का सही तरीका ,पूजा विधि..।

नरक चतुर्दशी का महत्व

हिंदू धार्मिक पुराणों के अनुसार, नरक चतुर्दशी पर भगवान कृष्ण ने नरकासुर नाम के राक्षस का वध किया था और उसके चंगुल में फंसी 16 000 स्त्रियों को मुक्त किया था। इसके साथ ही उन स्त्रियों को समाज में हीन दृष्टि से ना देखा जाए इसके लिए उन्होने सभी से विवाह भी किया था।

नरकासुर का वध करने के चलते इस दिन को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इस दिन यमराज की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन यमराज के नाम का दीपक जलाने काभी विशेष महत्व हैं। यम को दीया जलाने से घर में समद्धि होन के साथ पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।

ये है नरक चतुर्दशी का नियम

नियमों के अनुसार नरक चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान, लक्ष्मी पूजा के एक दिन पहले उस समय हो सकता है, जब चतुर्दशी तिथि सूर्योदय से पूर्व प्रबल होती है और अमावस्या तिथि सूर्यास्त के बाद प्रबल होती है तो नरक चतुर्दशी और लक्ष्मी पूजा एक ही दिन पड़ती है। अभ्यंग स्नान हमेशा चन्द्रोदय के समय किन्तु सूर्योदय से पूर्व चतुर्दशी तिथि के समय किया जाता है।