भारत के सहित में कई नीति ग्रंथ भी हैं। जो मानव जीवन के कार्यों पर प्रकाश डालते हैं और उनको सही से जीवन जीने का तरीका बताते हैं। इन्हीं नीति ग्रंथो में से एक आचार्य चाणक्य का चाणक्य नीति नामक ग्रंथ भी है। इसमें मानव जीवन के प्रत्येक पक्ष पर प्रकाश डाला गया है।
इसी ग्रंथ में स्त्री और पुरुष संबंधों पर भी विस्तार से चर्चा की गई है। आज हम आपको इस ग्रंथ के अनुसार पुरुषों में होने वाले आवश्यक गुणों के बारे में बता रहें हैं। आइये जानते हैं कि आचार्य चाणक्य ने पुरुष में होने वाले कौन कौन से गुणों के बारे में बताया है।
हमेशा कार्यरत रहे पुरुष
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि पुरुष को हमेशा कार्यरत रहना चाहिए। उसको यथाशक्ति कार्य करना चाहिए। काम करने के बाद मिले धन से पुरुष को संतोष करते हुए खुश रहना चाहिए और खुद से कमाए गए धन से ही पुरुष को अपने परिवार का पालन करना चाहिए। ऐसा करने वाला पुरुष सर्वश्रेष्ठ होता है।
प्रेम में भी रहे संतुष्ट
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि पुरुष को मिल रहें प्रेम में हमेशा संतुष्ट रहना चाहिए। जिस प्रकार से किसी कुत्ते को जितना भी भोजन मिले। वह उतने में ही संतुष्ट हो जाता है। ऐसे ही पुरुष को जो प्रेम उसके जीवन में मिला हुआ है। उसको भी उसी में संतुष्ट रहना चाहिए।
कुत्ते की तरह रहें सतर्क
आचार्य चाणक्य बताते हैं कि कुत्ते अपनी नींद के प्रति सतर्क होते हैं। इसी तरह से पुरुष को भी अपने परिवार, कर्तव्यों तथा स्त्री के प्रति सतर्क रहना चाहिए। जो पुरुष ऐसा करता है उससे स्त्रियां हमेशा संतुष्ट रहती हैं। पुरुष को हमेशा अपने शत्रुओं से सतर्क रहना चाहिए। चाहे शत्रु गहरी नींद में ही क्यों न हों। अपने परिवार की सुरक्षा के लिए पुरुष को हमेशा सतर्क रहना चाहिए।
कुत्ते की तरह रहें वफादार
कुत्ता एक वफादार प्राणी होता है। इसी कारण कुत्ते पर कोई शक नहीं करता है। इसी प्रकार से पुरुष को भी अपने परिवार तथा स्त्री के प्रति सदैव वफादार रहना चाहिए। आजकल हर पुरुष दूसरी स्त्री के प्रति लालायित रहता है लेकिन जो पुरुष सिर्फ अपनी पत्नी के प्रति वफादार रहता है। उसकी स्त्री उससे सदैव खुश और संतुष्ट रहती है।
कुत्ते की तरह वीर बनें
आचार्य चाणक्य बताते हैं कि कुत्ते में वीर भाव होता है। वह वीर होता है और अपने मालिक के लिए अपनी जान भी दे देता है। इसी प्रकार से पुरुष को भी वीर होना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर अपनी स्त्री तथा परिवार के लिए अपनी जान को दांव पर लगाने वाला पुरुष किसी भाग्यशाली स्त्री को ही मिलता है।
स्त्री को रखें संतुष्ट
आचार्य चाणक्य कहते है कि पुरुष को अपनी स्त्री को हमेशा संतुष्ट रखना चाहिए। पुरुष को अपनी स्त्री को शारीरिक तथा भावात्मक रूप से संतुष्ट रखना चाहिए। ऐसा करने वाला पुरुष अपनी स्त्री का हमेशा प्रिय बना रहेगा तथा पुरुष और स्त्री का रिश्ता हमेशा मजबूत बना रहेगा।