नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2024) शुरू होने जा रही है। मंदिर पडांल सजने शुरू हो चुके है। मां दुर्गा के मंदिरों को सुंदर तरीके से सजाया जाने लगा है। शारदीय नवरात्र के शुरू होते ही पहले दिन घटस्थापना की जाती है। इसके साथ ही मां दुर्गा के सामने विशेष पूजा-अर्चना कर जौ बोए जाते हैं। अब लोगों के मन में यही सवाल उठता है कि मां दुर्गा का जौ से किस तरह का नाता है। तो ज हम बता रहे है। नवरात्र के प्रथम दिन जौ क्यों बोए जाते हैं। आइए जानते हैं कैसे हुई इस परंपरा की शुरुआत…
जौ बोने के पीछे का कारण
पौराणिक कथा के अनुसार, जब पृथ्वी पर असुरों और दैत्यों का अत्याचार तेजी के साथ बढ़ रहा था, तब मां दुर्गा ने असुरों के अत्याचार को रोकने के लिए शक्ति का रूप धारण किया था। इसके बाद मां दुर्गा और दैत्यों के संघर्ष से निकलने वाली ऊर्जा से पृथ्वी पर अकाल पड़ गया था। दैत्यों के संहार करने के पश्चात पृथ्वी पर सर्वप्रथम जौ उगे। यही कारण है कि सनातन धर्म में नवरात्र के दौरान जौ बोने की परंपरा है जिसे उर्वरता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
मिलते हैं ये संकेत
नवरात्र में जौ बोए जाने वाले के वे कई खास संकेत भी देते हैं। यदि जौ का रंग सफेद या हरा हो गया है, तो यह शुभ संकेत माना जाता हैं। इसका अर्थ यह है कि जातक के जीवन की सभी तरह के कष्ट दूर होने वाले हैं।
इसके अलावा जौ अंकुरित और विकसित होते हैं, तो यह शुभ माना जाता है। इसका अर्थ यह है कि इससे घर की सारी नाकारात्मक ऊर्जा दूर होने के बाद घर में सुख-समृद्धि का आगमन होने जा रहा है।
जौ से करें यह उपाय
यदि आपके जीवन में कई तरह की परेशानियां आ रही है। आपको धन की कमी होने से आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं, तो ऐसे में जौ के विसर्जन के बाद थोड़े जौ को लाल वस्त्र में बांधकर तिजोरी के अंदर रख दें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से धन लाभ के योग बनते हैं।