नई दिल्ली। प्रयागराज ये वो जगह है जिसका उल्लेख पुराणों में भी सुनने को मिलता है। क्योकि भगवान राम के वनवास का पहला पड़ाव इसी जगह से हुआ था। अब इस जगह पर महाकुंभ मेले का शुभारंभ 13 जनवरी से होने वाला है। जहां दूर दूर से लोग इस मेले में पंहुचने की तैयारी कर रहे है। इस महाकुंभ मेले में हर जगहों के बीच ऋषि भारद्वाज का आश्रम इस समय लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
यूपी की योगी सरकार ने भी इस 13 करोड़ रुपए की लागत से इस आश्रण का पुनर्निर्माण कराकर इसे और भी अधिक अद्भुत रूप दे दिया है।जिसको देखने के लिए पर्यटकों की संख्या दिन व दिन बढ़ती जा रही है। ये बात बहुत ही कम लोग जानते होगें कि इस आश्रम की नीव रखने वाले ऋषि भारद्वाज ने इसी जगह पर विमान की खोज की थी। आइए जानते हैं इसके बारे में…
प्रयागराज में होने जा रहा महाकुंभ मेला में साधु-संतों और श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ा आस्था के केंद्र है। जो हर 12 साल बाद लगता है। इस मेले में श्रद्धालुओं के आने से हजारों लोगों की रोजी रोटी चलना शुरू हो जाती है।
यहां हुई थी विमान की खोज!
लोक मान्यताओं के अनुसार, प्रयागराज की धरती पर ऋषि भारद्वाज ने इसी आश्रम में रहकर पहली बार विमान उड़ाने की टेक्नोलॉजी तैयार की थी। ऋषि भारद्वाज ने विमान बनाने और उसे उड़ाने का तरीका खोजा था. प्रयागराज विद्वत परिषद के अध्यक्ष विनय पाठक के अनुसार, महर्षि भारद्वाज विमान बनाने और उसे उड़ाने की तकनीक खोजने वालों में से एक हैं। जिसका वर्णन पुराणों में भी देखने व सुनने को है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस आश्रम में ही ऋषि भारद्वाज ने पुष्पक विमान का डिजाइन बनाया और उसका निर्माण किया था। और इसी पद्धिति को अपनाकर आज पूरे देश में विमान उड़ रहे हैं। यह भारद्वाज ऋषि के अद्भुत ज्ञान का प्रमाण था.
ऋषि भारद्वाज आश्रम की खास बातें
इस आश्रम की नीव सप्त ऋषियों में से एक ऋषि भारद्वाज ने रखी थी।
प्रभु राम ने वनवास के दौरान पहला पड़ाव माता सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ ऋषि भारद्वाज के आश्रम में रखा था जिसके बाद ऋषि भारद्वाज ने उनको चित्रकूट जाने का सुझाव दिया था।
भारद्वाज आश्रम पहले एक गुरुकुल था, जहां पर शिक्षा प्रदान की जाती थी। इस आश्रम में यज्ञ, ध्यान और तप आदि किया जाता था।