नई दिल्ली। गणेश चतुर्थी समाप्त होते ही जगह जगह पर मांदेवी दुर्गा के आगमन के लिए पंडाल बनना शुरू हो जाते है। नव रूप धारिणी मां दुर्गा की पूजा पूरे देश में बड़े ही धूमधाम के साथ होती है। हमारे यहां साल में दो बार मां दुर्गा की आराधना के लिये नवरात्र का आयोजन किया जाता है। पहला जब चैत्र प्रतिपदा का आरंभ होता है तब चैत्र नवरात्र मनाई जाती है और दूसरी बार आश्विन के शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्र का आयोजन किया जाता है। इन नवरात्र में मां दुर्गा के नवस्वरूपों की विशेष पूजा और अर्चन किया जाता हैं। नवरात्र के नौ दिन तक प्रतिदिन हरएक शक्ति की पूजा की जाती है।
दोनों ही नवरात्र में मां दुर्गा के शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी,चंद्रघंटा, कूष्माण्डा,स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री सहित नौ स्वरूपों का पूजन और अर्चन किया जाता है।
मां देवी सिंह की सवारी करती है लेकिन जब भी वो धरती पर आती है तो इससे पहले ही तय हो जाता है कि इस साल वो किस वाहन से धरती पर आएंगी। हर साल मां जगदम्बा नवरात्रि पर धरती पर आती हैं तो वो अलग अलग वाहनों से आती और जाती हैं। माता के इन वाहनों के विषय में देवी भागवत में कहा गया है।
शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनि भौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता
अर्थात् यदि सोमवार व रविवार के दिन नवरात्र पड़ती है को ऐसे में मां दुर्गा सिंह पर नही बल्कि हाथी पर सवार होकर आती हैं। शनिवार और मंगलवार को नवरात्रि शुरू होने पर माता का वाहन अश्व यानी घोड़ा होता है। इसी तरह से यदि गुरुवार या शुक्रवार के दिन नवरात्रि शुरू होकी है तो माता डोली में बैठकर आती हैं। बुधवार से नवरात्रि शुरू हो तो माता नाव पर सवार होकर आती हैं। अब इस बार नवरात्र इस साल प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर को रात 11 बजकर 24 मिनट से शुरू होगी और 15 अक्टूबर को सुबह 12 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि में शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर 2023 से प्रारंभ होंगे और 24 अक्टूबर को विजय दशमी का त्योहार मनाया जाएगा।
श्लोक के अनुसार कलश स्थापन सोमवार के दिन रखे जाने के कारण मां गजारूढा यानी हाथी पर सवार होकर आयेंगी। मान्यताओं के अनुसार जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती है तो यह बेहद शुभ माना जाता है। हाथी पर सवार होकर महा दुर्गा अपने साथ ढेर सारी खुशियां और सुख समृद्धि लेकर आती है। संसार धनधान्य से भरा रहता हैं।
वापसी किस वाहन से करेंगी उसका प्रभाव:
इसी तरह मां के वाहन की असर वापसी में भी देखने को मिलता हैं कहने का यह भावार्थ है कि नवरात्र के अंतिम दिन कौन सा वार होगा जिसमें मां जाने के दौरान अपना वाहन उपयोग में लाएंगी। इस विषय में देवी भागवत में बताया गया है।