इंदिरा एकादशी व्रत इस वर्ष 28 सितंबर, शनिवार को रखा जाएगा। यह व्रत अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पड़ता है, जो पितरों को मोक्ष दिलाने और पापों का नाश करने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो व्यक्ति इस व्रत का पालन करता है और भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करता है, उसके पितर यमलोक से मुक्ति पाकर स्वर्ग लोक प्राप्त करते हैं। इस व्रत के दौरान पितरों को तृप्त करने के लिए विशेष पूजा विधि और कथा का पाठन आवश्यक माना गया है।
इंदिरा एकादशी व्रत की पौराणिक कथा
कथा के अनुसार, सतयुग में महिष्मति नगर के राजा इंद्रसेन के शासन में सुख-समृद्धि थी। एक दिन देवर्षि नारद यमलोक से लौटकर राजा इंद्रसेन के दरबार में पहुंचे और उन्हें बताया कि उनके पिताजी यमराज के निकट समय बिता रहे हैं, क्योंकि एकादशी व्रत का पालन करने में विघ्न पड़ गया था। नारद जी ने बताया कि अगर राजा इंदिरा एकादशी का व्रत करते हैं, तो उनके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी।
राजा इंद्रसेन ने नारद जी से व्रत की विधि पूछी। नारद जी ने उन्हें बताया कि इस दिन स्नान करके पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध करना चाहिए। भगवान शालिग्राम की मूर्ति स्थापित करके उनकी पूजा करनी चाहिए। ब्राह्मण भोज और दान-दक्षिणा के साथ गाय को भी भोजन देना चाहिए। रात्रि जागरण कर अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद व्रत का पारण करना होता है।
मुहूर्त और व्रत पारण समय
इस वर्ष, इंदिरा एकादशी की तिथि 27 सितंबर, शुक्रवार को दोपहर 1:20 बजे शुरू होगी और 28 सितंबर, शनिवार को दोपहर 2:49 बजे समाप्त होगी। पूजा का शुभ मुहूर्त 28 सितंबर की सुबह 6:13 बजे सिद्ध योग में रहेगा। व्रत का पारण 29 सितंबर, रविवार को सुबह 6:13 से 8:36 बजे तक किया जाएगा।