Khatu shyam Prabhu: ज्यादातर लोगों को पता है कि खाटूश्याम जी सिर धड़ से अलग था। लेकिन महाभारत पश्चात बर्बरीक को फिर से धड़ मिल गया था। बर्बरीक अपनी पहले की स्थिति में आ गए थे। लेकिन आगे का समय पूरा तपस्या में बिताने का फैसला किया था। महाभारत का एकमात्र ऐसा योद्धा जो बिना युद्ध लड़े ही बहुत कुछ कर गया। महाभारत में पांडवों की जीत ही सत्य की जीत थी। लेकिन पांडवों में एक समय अहंकार आ गया था, ऐसे में ऋषि और श्रीकृष्ण बर्बरीक के पास गए थे। ऋषि और कृष्ण का सिर्फ इतना ही पूछना था कि महाभारत में हुआ क्या था।
महात्मा बर्बरीक के जवाब ने खोली पांडवों की आँखे
महात्मा बर्बरीक ने महाभारत का एक -एक घटनाक्रम देखा था। जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने बताया कि लड़ाई में सिर्फ सुदर्शन चक्र चल रहा था। हर तरफ योद्धा के पीछे खड़े श्रीकृष्ण लड़ रहे थे। विरोधियों के हथियारों को भी सुदर्शन काट रहा था। ऐसा सुनने के बाद पांडवों को अपने अहंकार पर शर्म भी आई। श्रीकृष्ण ने देवी का आह्वान करके फिर से बर्बरीक का धड़ लौटाने का निवेदन किया। बर्बरीक को धड़ मिलने के बाद पुनः उसी अवस्था में माँ को सौंप दिया। लेकिन बर्बरीक ने अपनी माता से आगे के जीवन को लेकर कहा कि मैं अब तपस्या में ही जीवन बिताऊंगा।