ISRO Chief: नासा के अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर 5 जून 2024 से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर है। जिनके वापस आने की उम्मीदें लगातार कम होती जा रही है। भी हाल ही में  बोइंग स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान उन्हें लेने के लिए गया था लेकिन कुछ ख़राबी होने के कारण उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। अब इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि गगनयान साल के अंत तक फिर से लॉन्च किया जा सकता है। जिसके लिए काफी सावधानी बरतने की जरूरत है।

अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को अब वहां आठ महीने तक और रूकना होगा। अब उन्हें फरवरी में स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन वापस लाएगा।

मंगल और चंद्रमा में हुई खोज के बाद स्पेस रिसर्च सोमनाथ शुक्र ग्रह पर रिसर्च करने पर जोर दे रहे है। शुक्र ग्रह के रिसर्च के लिए ‘वीनस ऑर्बिटर मिशन’ (वीओएम) भी केंद्रीय मंत्रिमंडल के मंजूर किए गए प्रोजेक्ट्स में से एक है। इसके लिए 1,236 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

सोमनाथ ने कहा, ‘ कि पता नही कुछ समय के बाद कुछ कारणों से धरती हमारे रहने के लायक ना रहे। इसलिए सके लिए पहले से तैयार होने की जरूरत है। अब मंगल और शुक्र ग्रह पर यदि शोध करते है तो आने वाली पीढ़ी सुरक्षित रह सकती है। इसलिए भारत मंगल और चंद्रमा पर सफलतापूर्वक पहुंचने के बाद शुक्र ग्रह पर भी सफलता पाएगा।

2028 में हो सकता है मिशन लॉन्च

इसरो प्रमुख के अनुसार, अब शुक्र ग्रह पर होने वाले शोध करने के लिए सात साल लगेंगे. इसके लिए नया मिशन तैयार किया जाएगा।  चूंकि शुक्र मिशन को मार्च 2028 में लॉन्च किए जाने की उम्मीद है, इसलिए इसे मौजूदा लॉन्च व्हीकल्स से ही लॉन्च किया जाएगा।

सोमनाथ ने कहा, शुक्र ग्रह पर मिशन भेजने की तैयारी रूस, चीन और जापान भी कर रहा है जो 2030 तक अपना मिशन भेज सकता है। इसलिए, 2028 तक, हमने ‘लॉन्च व्हीकल मार्क-3′ या एलवीएम-3 से अपना शुक्र मिशन लॉन्च करने का फैसला किया है।’

शुक्र ग्रह के बारे में उन्होंने कहा, ‘शुक्र पृथ्वी का निकटतम ग्रह माना जाता है, जो ज्यादा चुनौतीपूर्ण है.’ सोमनाथ ने कहा, ‘हालांकि हम पहले मंगल ग्रह पर गए थे, जो थोड़ा दूर है, वहीं शुक्र ग्रह करीब है, लेकिन यह मंगल ग्रह से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।  क्योंकि शुक्र के वायुमंडल में पृथ्वी के मुकाबले 100 गुना ज्यादा दबाव है।’