वर्तमान समय में काफी लोग आत्मा तथा इसके पुनर्जन्म के सिद्धांत पर विश्वास करते हैं। आज के वैज्ञानिक दौर में भी यह सिद्धांत बिलकुल सही दिखाई पड़ता है। गीता में भी आत्मा की अमरता के विषय में काफी कुछ कहा गया है।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि मृत्यु के बाद में वर्तमान शरीर चला जाता है लेकिन आत्मा अमर है अतः वह दूसरे शरीर को धारण कर लेती है। माना जाता है मौत के कुछ ही क्षणों बाद आत्मा दूसरे शरीर को धारण कर लेती है, यह शरीर किसी भी जीव-जंतु या मानव का हो सकता है। आत्मा विषयक इसी सिद्धांत को सिद्ध करती एक घटना हालही में मध्य प्रदेश से सामने आई है। घटना में कुछ ऐसी चीजें निकलकर सामने आई हैं, जिनको जानने के बाद कोई भी हैरान रह सकता है।
पिता की हुई मृत्यु
घटना मध्य प्रदेश के दमोह के रंजरा गांव की है। इस गांव में जालम सिंह लोधी की बेटी के विवाह की तैयारियां चल रहीं थी लेकिन 18 अप्रैल के दिन शादी की तैयारियों के बीच जालम सिंह की एक हादसे में मृत्यु हो गई। इस प्रकार से परिवार पर विवाह से पहले ही दुःखो का पहाड़ टूट पड़ा। बेटी का विवाह 21 अप्रैल को था अतः किसी प्रकार से वैवाहिक रस्मों को पूरा किया गया। इसके बाद जो कुछ हुआ वह हैरान कर देने वाला है।
पक्षी के रूप में आये पिता
आपको बता दें की विवाह वाले दिन एक पक्षी बिना भीड़ से डरे हुए शादी में आया तथा दुल्हन की मां की गोद में आ बैठा। विवाह में आये लोग इस पक्षी को मृतक पिता के रूप में देख रहें थे। विवाह की रस्में जब शुरू हुई तो यह पक्षी स्टेज के सामने रखी कुर्सियों पर बैठ गया। इसके बाद यह पक्षी विवाह के समय लड़की के साथ ही बैठा रहा। इसके अलावा जब बारातियों के खाने का समय हुआ तो इस पक्षी ने बारातियों के साथ में खाना भी खाया। इस प्रकार से विवाह के पूरे समय इस पक्षी ने विवाह के प्रत्येक कार्य में अपनी उपस्थिति को दर्ज कराया।
विवाह के बाद पक्षी हुआ गायब
इस पक्षी के बारे में सबसे खास बात यह रही की विवाह के सभी कार्यों में साथ रहने वाला यह पक्षी, विवाह के बाद में अचानक गायब कहां हो गया, यह किसी को पता नहीं लग सका। विवाह की रस्मों के समय यह पक्षी इधर उधर बैठा रहा लेकिन जैसे ही विवाह संपन्न हुआ वैसे ही यह पक्षी अचानक गायब हो गया। हालांकि कुछ लोगों ने इस पक्षी को ढूंढने की भी कोशिश की लेकिन यह पक्षी फिर नजर नहीं आया। अतः अब लोग इस पक्षी को दुल्हन के मृतक पिता के रूप में देख रहें हैं, जो की विवाह पर रस्मों में अपनी भागीदारी निभाने के लिए आये थे।