हमारे देश में लोगों को भिंड़ी की सब्जी बहुत अच्छी लगती है, इसको बनाना भी बहुत आसान होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि इस भिंडी की खेती कैसे होती है।

तो आपको बता दें कि भिंड़ी की खेती किसी भी तरह की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन इसके लिए दोमट मिट्‌टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसके अलावा बलुई दोमट व मटियार दोमट भी भिंड़ी की खेती के लिए अच्छी होती है।

भिंडी की खेती के लिए गर्म जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। इसकी खेती गर्मी व बरसात के मौसम में होती है, लेकिन इस मौसम में ध्यान रखना जाहिए कि खेत में पानी जमा न होने पाए।

भिंड़ी की खेती के लिए बुवाई का सही समय
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गर्मी के मौसम में भिंडी की खेती के लिए फरवरी से मार्च के बीच बुवाई करनी चाहिए। तो वहीं मॉनसून में इसकी खेती के लिए जून-जुलाई का सही समय बुवाई के लिए उपयुक्त होता है। यदि सही तरीके से इसकी खेती करें तो प्रति हेक्टेयर 115-125 क्विंटल भिंडी की पैदावर हो सकती है।

भिंडी की उन्नत किस्में
परभनी क्रांति – भिंडी की ये किस्म पीत-रोग का मुकाबला करने में सक्षम होती है, और इसके बीज लगाने के 50 दिन बाद फल आते हैं। इस किस्म की भिंडी गहरे हरे रंग की और 15-18 सेंमी. लंबी होती है।

पंजाब-7 – इस किस्म की भिंडी पीतरोग रोधी होती है। ये भिंडी हरे रंग की और मीडियम साइज़ की होती है और इसके बीज बोने के लगभग 55 दिन बाद फल आते हैं।

अर्का अभय– भिंडी की ये किस्म येलोवेन मोजेक विषाणु रोग से खुद का बचाव करने की क्षमता रखती है। इस भिंडी के पौधे 120-150 सेमी लंबे और एकदम सीधे होते हैं।

अर्का अनामिका – बता दें कि भिंडी की ये किस्म भी येलोवेन मोजेक विषाणु रोग से खुद का बचाव करने की क्षमता रखती है। इसके पौधे की लंबाई 120-150 सेमी. तक होती है और इसमें कई शाखाएं भी होती हैं। इस किस्म की भिंडी में रोए नहीं होते और ये मुलायम होती है।

पूसा ए-4– यह किस्म एफिड और जैसिड जैसे कीटों का मुकाबला करने के साथ पीतरोग यैलो वेन मोजैकविषाणु रोधी भी होती है। इसके फल मीडियम साइज़ के और थोड़े हल्के रंग के होते है, और ये कम चिपचिपी होती है। इस किस्म को बोने के लगभग 15 दिनों बाद फल आने लगते हैं।

वर्षा उपहार – इस किस्मा की भिंड़ी येलोवेन मोजेक विषाणु रोग रोधी होती है और इसके पौधे 90-120 सेमी.लंबे होते हैं व इसमें 2-3 शाखाएं हर नोड से निकलती है। मॉनसून के मौसम में बुवाई के करीब 40 दिनों बाद फूल आने लगते हैं।

हिसार उन्नत– इस किस्मा की भिंड़ी मॉनसून और गर्मी दोनों मौसम के लिए उपयुक्त होती है और इसके पौधे 90-120 सेमी. तक लंबे होते। इसके हर नोड से करीब 3-4 शाखाएं निकलती हैं। इस भिंडी को बाने के 46-47 दिनों में तोड़ लिया जाता है।

वी.आर.ओ.-6– इस भिंडी को काशी प्रगति भी कहते हैं और इसमें पीले मोजेक विषाणु रोग रोधी होते हैं। इसके पौधे मॉनसून में 175 सेमी. और गर्मी के मौसम में करीब 130 सेमी. लंबे होते हैं। इसमें फूल जल्दी निकलते हैं, और बुवाई के 38 दिन बाद ही फूल निकलने लगते हैं।

पूसा सावनी – भिंड़ी की ये किस्म गर्मी और बरसात के लिए उपयुक्त होती है और इसके पौधों की लंबाई करीब 100-200 सेमी. होती है। इसके फल गहरे हरे रंग के होते हैं और इसमें भी येलोवेन मोजेक विषाणु रोग नहीं लगता है।

पूसा मखमली– इस किस्म की भिंडी के फल हल्के हरे रंग के होते हैं, लेकिन ये येलोवेन मोजेक विषाणु रोधी नहीं है। इसमें 5 धारियां होती हैं और इसके फल 12 से 15 सेमी. लंबे होते हैं।