आज के समय में प्रेमानंद महाराज को कौन नहीं जानता है। लाखों की संख्या में लोग इन्हें फॉलो करते हैं तथा बड़ी संख्या में लोग प्रेमानंद महाराज को अपना आदर्श भी मानते हैं। वर्तमान समय में प्रेमानंद महाराज के पास में सामान्य लोगों से लेकर बीआईपी लोग तक आते हैं।

प्रत्येक धर्म से ताल्लुक रखने वाला व्यक्ति प्रेमानंद महाराज के पास में उनका आशीर्वाद लेने आता है। इन सभी लोगों को प्रेमानंद महाराज सही, सीधे तथा अच्छे कर्म करते हुए अच्छा इंसान बनने को कहते हैं। प्रेमानंद महाराज कई बार प्रवचन भी करते हैं। आज हम उनके प्रवचनों से ही उन कार्यों के बारे में जानकारी लेकर आये हैं। जिन्हें करने से कोई भी मानव बर्वाद हो जाता है। आइये अब आपको इस कार्यों के बारे में विस्तार से बताते हैं।

न करें स्वयं की तारीफ

प्रेमानंद महाराज कहते हैं की जो व्यक्ति अपने मुंह से खुद की तारीफ करता है। उसकी बुद्धि नष्ट हो जाती है। इसके अलावा ऐसे व्यक्ति के पुण्य भी नष्ट हो जाते हैं। अतः ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए।

न करें लालच

लालच, छल तथा कपट किसी भी मानव के जीवन को नष्ट कर डालता है। ये चीजें इंसान की बर्बादी का कारण बन जाती हैं। ये चीजें न सिर्फ उस इंसान का जीवन नष्ट करती हैं बल्कि उसकी शांति को भी छीन लेती हैं।

न करें ईर्ष्या

अपने मन में किसी के प्रति भी ईर्ष्या या द्वेष को न आने दें। यह चीजें इंसान को बर्बाद कर डालती हैं। थोड़ा अपमान होने पर यदि ज्यादा क्रोध आये तो यह इंसान को बर्बाद कर डालता है।

सदैव करें रक्षा

यदि आपके दरवाजे पर कोई पशु, पक्षी या मानव आ जाता है तो उसकी रक्षा अवश्य करनी ही चाहिए। ऐसा न करने वालों के पुण्य नष्ट हो जाते हैं।

उत्साह में पाप

यदि कोई व्यक्ति उत्साहित या प्रेरित होकर पाप कर रहा है तो उसकी दुर्गति होनी निश्चित है। ऐसे लोगों को ईश्वर कभी क्षमा नहीं करते हैं।

संभोग का चिंतन

मन में पराई स्त्री के साथ में संभोग का चिंतन व्यक्ति के भी पुण्य नष्ट हो जाते हैं। अतः इस प्रकार का चिंतन न करें।

खुद को न मानें श्रेष्ठ

महाराज जी कहते हैं की जो लोग खुद को श्रेष्ठ दिखाते हैं तथा दूसरों को नीचा दिखाते हैं। इस प्रकार के लोगों की भी दुर्गति होती है। यही चीज इन लोगों की बर्बादी का कारण बनती है।

दान तथा खर्च

महाराज जी कहते हैं की दान देने की बात कहकर मुकरना एक पाप ही है। इसके अलावा लोगों को अपने पैसे में से कुछ खर्च जरूरतमंद लोगों के लिए अवश्य करना चाहिए।

दुसरो की हानि

जो व्यक्ति बच्चों, बुजुर्गो तथा स्त्री को हानि पहुंचाता है, दुःख पहुंचाता है। इस प्रकार के लोगों की दुर्गति अवश्य होती है।