आपको बता दें की केंद्र सरकार ने बीते गुरूवार को फॉस्फेटिक और पोटाश उर्वरकों के लिए 24,420 करोड़ की सब्सिडी को मंजूरी दे दी है। बताया जा रहा है की अप्रेल से सितंबर तक चलने वाली खरीफ फसल के सीजन में किसानों को इस सब्सिडी का अच्छा लाभ मिलेगा। ख़ास बात यह है की इसमें तिलहन तथा दालों की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए तीन नए ग्रेड भी जोड़े गए हैं।

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा

अनुराग ठाकुर ने इस बारे में बताते हुए कहा है की “वैश्विक बाजार में उर्वरकों की बढ़ती कीमतों के बावजूद, हमने कीमतों को पिछले सीजन की तरह ही रखने का फैसला किया है। 2024 के खरीफ सीजन के लिए नाइट्रोजन (एन) पर सब्सिडी 47.02 रुपये प्रति किलोग्राम, फॉस्फेटिक (पी) पर 28.72 रुपये प्रति किलोग्राम, पोटाश (के) पर 2.38 रुपये प्रति किलोग्राम और सल्फर (एस) पर 1.89 रुपये प्रति किलोग्राम तय की गई है।”

डीएपी पर सब्सिडी

जानकारी दे दें की 2023 में फॉस्फेटिक उर्वरकों पर रबी के सीजन में सब्सिडी 20.82 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जिसको बढ़ाकर 2024 के खरीफ सीजन के लिए 28.72 रुपये प्रति किलोग्राम किया गया है। लेकिन इस साल के खरीफ सीजन के लिए नाइट्रोजन (एन), पोटाश (के) और सल्फर (एस) पर सब्सिडी में कोई बदलाव नहीं किया गया है। मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है की “डीएपी-आधारित उर्वरक के बैग अब 1350 रुपये में मिलेंगे।

जब की म्यूरेट ऑफ फॉस्फेट (एमओपी) उर्वरक की कीमत 1670 रुपये प्रति बैग होगी। इसी प्रकार से एनपीके का दाम 1,470 प्रति बैग होगा। अभी 2024 के खरीफ सीजन के लिए 38,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी हुई है। बता दें की वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट में उर्वरक सब्सिडी के लिए 1.64 ट्रिलियन रुपये आवंटित किये गए हैं।

यूरिया में आत्मनिर्भर बनेगा देश

अब भारत यूरिया में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ रहा है हालांकि देश अभी भी रॉक फॉस्फेट की मांग को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है। आपको बता दें की रॉक फॉस्फेट असल में डीएपी तथा एनपीके उर्वरकों के लिए कच्चे माल की तरह होता है। देश अभी म्यूरेट ऑफ पोटाश के लिए आयात पर निर्भर है। बता दें की भारत सालाना लगभग 5 मिलियन टन फॉस्फेट रॉक, 2.5 मिलियन टन फॉस्फोरिक एसिड और 3 मिलियन टन डीएपी का आयात करता है। डायमोनियम फॉस्फेट की 60% पूर्ति आयात से की जाती है, इसी तरह 25 प्रतिशत यूरिया और 15 प्रतिशत एनपीके उर्वरक की आवश्यकता को भी आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है।