नीम करौली बाबा को आज देश-दुनिया में सभी जानते हैं। बड़ी संख्या में लोग इन्हें फॉलो करते हैं। दुनियाभर से बड़ी संख्या में लोग नीम करौली बाबा के विभिन्न आश्रमों में आते हैं। बता दें की अपने जीवन काल में नीम करौली ने अपने उपदेशों से हजारों लोगों को जीवन के संबंध में सीख दी थी। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में बाबा ने अपने भक्तों को उपदेश दिए। इन्ही उपदेशो में बाबा के कुछ उपदेश धन से जुड़े हुए हैं। इनमें बाबा ने धन से सम्बंधित समस्याओं को दूर करने तथा धन की आवक बढ़ाने के लिए कुछ सरल उपाय बताये हैं। आइये आपको बताते हैं की नीम करौली बाबा ने धन के संबंध में क्या कहा।
न करें धन की बर्बादी
बाबा नीम करौली ने धन के संबंध में कहा है की धन की बर्बाद नहीं करनी चाहिए। असल में धन की बचत करनी चाहिए। जो लोग धन को दिखावे के चक्कर में बर्बाद करते हैं। उनके ऊपर देवी लक्ष्मी की कृपा नहीं होती है। जो लोग धन की बचत करते हैं। उन पर देवी लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है।
पैसे का करें सही इस्तेमाल
नीम करौली बाबा कहते हैं की धन का सदैव सही इस्तेमाल करना चाहिए। जो धन का सही इस्तेमाल करेगा वही आगे धनवान बन सकेगा। जो व्यक्ति धन का सही स्थान पर उपयोग करना नहीं जानता है वह धनवान नहीं बन सकता है बल्कि वह हमेशा आर्थिक रूप से परेशान रहता है। बाबा आगे कहते हैं की अमीर बनने का अर्थ सिर्फ धन को जमा करना नहीं होता है बल्कि धन का सही स्थान पर इस्तेमाल करना भी होता है। अतः इंसान को समय समय पर धन को धार्मिक कार्यों के लिए भी खर्च करना चाहिए।
धार्मिक कार्यों में खर्च करें धन
नीम करौली बाबा कहते हैं की मानव जितना धन धार्मिक कार्यों में खर्च करेगा। उस धन का डबल होकर उसी व्यक्ति को मिल जाएगा।
कौन हैं बाबा नीम करौली
आपको बता दें की बाबा नीम करौली एक संत थे। इनके जीवन से कई चमत्कारिक घटनाएं भी जुडी हुई हैं। ये भगवान हनुमान के भक्त थे हालांकि बाबा के भक्त बाबा को भी हनुमान जी का ही अवतार मानते हैं। बहुत कम लोग जानते हैं की बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। उत्तर प्रदेश के अकबरपुर ग्राम में लगभग सन 1900 के आसपास इनका जन्म हुआ था। बाबा का विवाह 11 वर्ष की अवस्था में ही हो गया था। इसके बाद बाबा को 17 वर्ष की अवस्था में ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी।
1958 में बाबा ने गृह त्याग कर उत्तर भारत में विचरण करना प्रारंभ कर दिया था। इस दौरान बाबा कई अन्य नामों से भी संबोधित किये जाने लगे थे। उत्तराखंड के नैनीताल में बाबा नीम करौली पहली बार कैंची धाम में 1961 में आये थे। यहां उन्होंने अपने मित्र पूर्णानंद जी के साथ आश्रम बनाने का विचार किया था। इसके बाद बाबा ने 1964 में यहां आश्रम की नींव रखी थी। बाबा की समाधी वर्तमान में नैनीताल के पास स्थित पंतनगर में है।