Panther in Hanutiya: इन दिनों तेंदुओं की आवाजाही बढ़ी है। या तो हम उनकी जगह में अतिक्रमण कर रहे हैं या फिर उनकी आबादी बढ़ रही है। जानवरों के जंगल में हमने बसावट शुरू की है तब से यह हो रहा है। उनकी रेंज जितनी होती है, वे उसमे विचरण करते हैं। उनका शिकार भी मांसाहार होता है। यदि तेंदुआ किसी इंसान को क्षति पहुंचा देता है तो क्या उसको आप गोली मारने के आदेश दे दोगे। उदयपुर की घटना के बाद बहुत सी प्रतिक्रियाएं आई है। लेकिन इन सबके बीच रेस्क्यू नाम भी किसी चीज का है। गोली मारने से पहले उसे रेस्क्यू भी किया जा सकता है।

ग्राम हनुतिया में निकला तेंदुआ

अमरसर और सामोद वन विभाग के नाके हैं। यहां से पहाड़ी क्षेत्र और बॉउंड्री में तेंदुआ और बघेरे रहते हैं। उनका क्षेत्र हैं और वे पानी की तलाश में बाहर आ जाते हैं। 30 किलोमीटर तक की दूरी तय करना और अपना साम्राज्य बनाना उनकी फितरत में है। अपनी टेरेटरी के लिए इन जानवरों में लड़ाइयां भी काफी होती है। चोमू में भी कई बार तेंदुआ देखा जा चुका है। खेतों में रात के समय किसी भी गाँव से ये जानवर निकल जाए, किसी को पता नहीं चलता। लेकिन दिन के समय में इनसे दहशत फ़ैल जाती है। ग्राम हनुतिया के स्टैंड पर जब तेंदुआ दौड़ा तो लोग परेशां हो गए। तेंदुआ भी अपनी जान बचाकर नाले में छिप गया। इसके बाद ग्रामीणों में फ़ोन करके रेस्क्यू टीम बुलाई।

अमरसर में बड़ी संख्या में है तेंदुए

अमरसर वन क्षेत्र में तेंदुआ दिखना आम बात है। पहाड़ी क्षेत्र में खनन पर रोकथाम भी तेंदुओं की वजह से ही लगी है। अजीतगढ़ और हथोरा तक की पहाड़ियों पर खनन बहुत तेजी से हो रहा था। अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए उड़न दस्ते भी काफी गए, लेकिन मिली भगत से कोई भी फ़ोन पर इसकी सूचना दे देता। खनन माफिया पर लगाम भी तेंदुओं ने ही लगाई है। इनके आने की सूचना तो शायद ही कोई दे। खनन पर रोक लगने के साथ ही अब तो बकरियां चराने वाले भी डरने लगे हैं। अजीतगढ़ के बाजार में भी कई बार तेंदुआ देखा जा चुका है। अजीतगढ़ की पहाड़ी पर तेंदुआ और उसके बच्चे होने की बात भी कई लोगों ने की है।