गाडी में यूज होने वाले पेट्रोल के बारे में तो हम सभी लोग जानते ही है। बिना पेट्रोल के गाडी का चलना नामुमकिन है। लेकिन क्या आप जानते है की यह पेट्रोल कैसे बनता है। आप में से अधिकांश लोग यह नही जानते है की पेट्रोल कैसे बनता है। आज हम आपको पेट्रोल बनने का पूरा प्रोसेस बताने वाले है। पेट्रोल एक जटिल प्रक्रिया से गुजरने के बाद तैयार होता है। आइये पेट्रोल बनने की जटिल प्रक्रिया को जान लेते है।

कैसे बनता है पेट्रोल

पेट्रोल बनाने के लिए सबसे पहले कच्चे तेल की जरूरत पड़ती है। यह कच्चा तेल जमीन की गहराई में पाया जाता है। जमीन की गहराई से ड्रिलिंग करके बड़ी बड़ी मशीन के माध्यम से कच्चे तेल को बाहर निकाला जाता है। इसके बाद इस निकाले गए कच्चे तेल को टैंकर या पाइपलाइन के माध्यम से बड़ी बड़ी रिफाइनरी तक पहुंचा दिया जाता है। रिफाइनरी में कच्चे तेल को भेजने के बाद उच्च तापमान पर कच्चे तेल को गर्म किया जाता है। इससे कच्चे तेल में मौजूद हाइड्रोकार्बन अलग होता है।

अब आगे की प्रोसेस में यह अलग हुआ हाइड्रोकार्बन विभिन्न बड़े बड़े टावर में भेजा जाता है। इन सभी टावर का तापमान अलग-अलग होता है। इन टावर को fractionating column के नाम से जाना जाता है। जो हाइड्रोकार्बन हल्के होते है वह टावर के ऊपरी वाले हिस्से में इक्कठा होते है। हल्के हाइड्रोकार्बन को पेट्रोल रूप में जाना जाता है। जबकि भारी हाइड्रोकार्बन टावर के नीचे वाले हिस्से में इक्कठा होते है। जो डीजल के रूप में जाने जाते है।

क्रेकिंग और रिफोर्मिंग करना

जो भारी हाइड्रोकार्बन टावर के नीचे वाली जगह पर इक्कठा हुए है उन्हें तोड़ने की प्रकिया होती है जिसे क्रेकिंग के नाम से जाना जाता है। भारी हाइड्रोकार्बन को क्रेकिंग करके हल्का किया जाता है जो पेट्रोल के रूम में तैयार होता है। इसके बाद रिफोर्मिंग किया जाता है। इससे पेट्रोल की गुणवत्ता में सुधार होता है। जो पेट्रोल यूज होने लायक बनता है। पेट्रोल में अशुद्धियां होती है जैसे की सल्फर आदि को भी हटाने की प्रक्रिया मशीनरी से होती है।

इस लंबे प्रोसेस से गुजरने के बाद पेट्रोल यूज करने लायक बनता है। यह सारा का सारा खेल बड़े बड़े प्लांट और मशीनरी से होता है।