हमारे देश को संतों की भूमि कहा जाता है, यहां पर कई संतों एवं महापुरुषों ने जन्म लिया और अपने अलौकिक ज्ञान से सभी को चौंका दिया। वर्तमान में भी ऐसे कई महान संत है, जिनकी वाणी से कई लोगों को प्रेरणा मिलती है। वर्तमान के एक ऐसे ही प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज जी हैं, जो वृंदावन में रहते हैं और इनको वृंदावन वाले महाराज जी के नाम से जाना जाता है, जो ज्यादातर पीले वस्त्र धारण किए हुए नजर आते हैं।
सोशल मीडिया के इस समय में उनके प्रवचन के कई वीडियो वायरल होते रहते हैं, जिसमें वह लोगों को मार्गदर्शन करते नजर आते हैं। तो आज हम इस लेख में आपको उनके जीवन और उनके संत बनने के सफर के बारे में बताने जा रहे हैं..
प्रेमानंद महाराज जी का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के सरसोल नामक गांव में हुआ था। उनको शुरूवात से ही अपने आस-पास आध्यात्मिक माहौल मिला। बता दें कि उनका परिवार बहुत ही साधारण था, जिसके कारण उनका पूरा बचपन बहुत ही साधारण रूप से बीता और उनका बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे था।
उनके पिता का नाम श्री शंभू पांडे और मां का नाम रामा देवी था। उनके पिता भी भगवान के बड़े भक्त थे और दादा भी एक सन्यासी थे। अन्य बच्चों की तुलना में उनका बचपन काफी अलग था, वे बचपन से ही भक्ति भाव में लगे हुए थे। उन्होंने बचपन से कीर्तन करना, चालीसा पाठ करना, मंदिर जाना शुरू कर दिया था।
प्रेमानंद महाराज ने बहुत कम उम्र 13 साल में रात को 3:00 बजे अपना घर छोड़ दिया था। जिसके बाद वे ब्रह्मचर्य में लग गए थे और तब से ही उनके सन्यासी जीवन की शुरुआत हुई थी और उनका नाम आरयन ब्रह्मचारी रखा गया। अपना घर छोड़ने के बाद वह वाराणसी चले गए थे और वहीं पर अपना जीवन बिताने लगे। लेकिन अब प्रेमानंद महाराज वृंदावन के श्री हित राधा केली कुंज आश्रम में रहते हैं।