Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana: किसान अपनी जमा पूंजी लगा कर ठंडी-गर्मी, वर्षा में खून पसीना एक कर खेती करता है, लेकिन कुदरत की नामेहबानी से प्राकृतिक आपदा में पूरी फसल बर्बाद हो जाती है। ऐसी स्थिति मे किसान कर्ज के बोझ तले दब कर खुदकुशी तक करने को मजबूर हो जाता है। जबकि देश के विकास में किसानों का बड़ा योगदान है। देश का अन्नदाता खुशहाल हो और खुदकुशी जैसा गंभीर कदम ना उठाए इसके लिए केंद्र की मोदी सरकार काफी सजग है। सरकार साल 2023 के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए 1.25 लाख करोड़ का लंबा-चौडा बजट रखा है, जिससे कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़े खाद्यान्न का आयात घटे और देश का किसान मज़बूत हो।

इसी को देखते हुए सरकार किसानों की फसल की सुरक्षा के लिए कृषि बीमा योजना को शुरू किया। सरकार का उद्देष्य है कि यदि प्राकृतिक आपदा से फसलों का नुकसान होता है तो किसानों को उसका उचित मुआवजा मिल सके जिससे वे कर्ज के बोझ से ना दबें। लेकिन बीते दिनों फसल बीमा में गड़बड़ी मेंदेखने को मिली। बीमा कंपनियां कुल 17,000 किसानों को महज डेढ़ लाख रुपये की भरपाई की गई। लेकिन कंपनी के पास 785 करोड़ रुपये बचे रह गए। जबकि कंपनी कुल रकम का 20 फीसदी जो 160 करोड़ रुपये है उसे यह रकम कंपनी के खर्च के लिए रखा गया। जबकि सराकार के पास 639 करोड़ रुपये और इतनी ही राशि सरकार की ओर से मुआवजे के लिए किसानों को तत्काल सहायता के रूप में दिया जाएगा।

नुकसान की भरपाई के लिए फसल बीमा को मिली मंजूरी

अब सरकार ने नई फसल बीमा सूची को तैयार कर ऐसे किसानों को भी इस सूची में शामिल किया है जिनकी पिछले साल भारी बारिश से खरीफ की फसल नष्ट हुई है उन्हें राहत देने के लिए मुआवजा देने की तैयारी कर रही है। भारी बारिश से किसानों की सोयाबीन और कपास जैसी फसलें नष्ट हो गईं हैं। हालांकि ऐसे किसानों को राज्य सरकारों ने भारी बारिश से हुई क्षति पूर्ती के लिए मुआवजा भी दिया है। लेकिन जिन किसानों ने फसल बीमा करा रखा था उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिला तो वे फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए फसल बीमा कंपनियों के पास दावा किया है। सरकार के दखल के बाद अब ऐसे किसानों के लिए फसल बीमा की मंजूरी दी जाचुकी है।