आपको पता होगा ही की बहुत से बैंक न्यूनतम सीमा से कम बैलेंस होने पर पेनल्टी लगा देते हैं। जिसको आपको भरना होता ही है। जानकारी दे दें की वित्त राज्य मंत्री डॉ भागवत कराड ने लोकसभा ने लिखित जवाब में कहा है कि पिछले 5 वर्ष में सरकारी तथा निजी क्षेत्र के 5 प्रमुख बैंकों ने न्यूनतम बैलेंस न रखने पर पेनल्टी लगाकर 21 हजार करोड़ रुपये कमाएं हैं।
जब की विभिन्न बैंकों में यह चार्ज 400 से 500 रुपये के बीच होता है। सवाल यह है कि यदि आप अपने अकाउंट से सभी पैसे निकल लें तो क्या आपका बैलेंस निगेटिव हो जाएगा। आइये इस संबंध में आपको जानकारी देते हैं।
RBI ने जारी किये दिशा निर्देश
RBI ने यह कहा है कि सभी बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए की किसी के खाते में न्यूनतम बैलेंस न होने के चलते पेनल्टी लगाने से बैलेंस निगेटिव न हो जाए। इसका मतलब यह है की न्यूनतम बैलेंस न होने पर अब ग्राहक को पेनल्टी नहीं देनी होगी।
बैंकों को तुरंत करना होगा सूचित
आपको बता दें की 20 नवंबर 2014 को इसी समस्या को लेकर आइबीआइ ने एक सर्कुलर जारी किया था। जिसके अनुसार बहुत से बैंक ग्राहकों की समस्याओं पर ध्यान न देने की बजह से उस पर चार्ज नहीं लगा सकते हैं। यदि किसी ग्राहक का खाता जैसे ही न्यूनतम बैलेंस की सीमा से नीचे चला जाए तो उसकी सूचना तुरंत बैंक को ग्राहक को देनी होगी।
ऐसी स्थिति में बैंकों को लगने वाले चार्ज की सूचना भी ग्राहकों को देनी होगी ताकी वे जल्दी से जल्दी कार्यवाई कर सकें। आइबीआइ ने कहा है कि इस प्रकार के बैंक पेनल्टी लगाने के स्थान पर ग्राहकों की सुविधाओं को सीमित करें साथ ही इस प्रकार के खातों को बेसिक सेविंग अकाउंट में बदल दें। वहीं जब ग्राहक के खाते में मिनिमम बैलेंस सही स्तर पर आ जाए तो उस खाते को रेग्यूलर खाते में रिस्टोर कर दें।
बैंक पेनल्टी को किस प्रकार से बसूलते हैं
यदि किसी के खाते में मिनिमम बैलेंस से कम बैलेंस हो जाता है तो वह खाता निगेटिव हो जाता है। वहीं जब ग्राहक उस खाते में पैसे डालता है तो उसके पैसे तुरंत काट लिए जाते हैं। मान लीजिये की खाते में मिनिमम बैलेंस न होने पर 1 हजार रुपये की पेनल्टी आई और जब ग्राहक ने उस खाते में 5 हजार रुपये डाले तो उसमें से 1 हजार रुपये तुरंत बैंक काट लेता है। अतः ग्राहक के खाते में मात्र 4 हजार रुपये ही बचेंगे।