मकान मालिक तथा किरायेदार के बीच अक्सर पैसे या रूम छोड़ने को लेकर विवाद को देखा जाता है। हालांकि कुछ मकान मालिक इस प्रकार के होते हैं। जो अपनी प्रॉपर्टी पर ध्यान नहीं देते हैं और सिर्फ किराए से ही मतलब रखते हैं। लेकिन कुछ मकान मालिक अपने किराये के साथ साथ अपनी प्रॉपर्टी का भी पूरा ध्यान रखते हैं।

कई बार ऐसे किरायेदार भी देखने को मिलते हैं जो लंबे समय से मकान में रह रहें होते हैं और मकान छोड़ने को कहने पर वे मकान मालिक से ही झगड़ना शुरू कर देते हैं। कई बार किरायेदार आपके मकान में 8-10 साल से रह रहें होते हैं और निकलने का नाम तक नहीं लेते हैं। ऐसे में आपको हम यहां पर Rent Rules के कुछ नियम बता रहें हैं ताकी आप सतर्क रह सकें और समय पर अपने मकान को खाली करवा सकें।

लिमिटेशन एक्ट 1963

आपको जानकारी दे दें कि इस नियम में मकान मालिक तथा किरायेदार के बीच बनाये गए कायदों का वर्णन किया गया है। इस एक्ट के तहत प्राइवेट रियल स्टेट और इमिटेशन की पहचान को एक समय सीमा 12 साल तक के लिए तय किया गया है। इस समय सीमा के बाद लिया गया कोई भी फैसला किरायेदार के पक्ष में ही होगा।

किरायेदार बन जाएगा आपकी प्रॉपर्टी का मालिक

मकान मालिक की प्रॉपर्टी पर किरायेदार का हालांकि कोई हक़ नहीं होता है जिसके कारण वह मकान मालिक की प्रॉपर्टी पर अपना कब्जा कर सके। लेकिन कुछ नियम ऐसे हैं, जिनमें किरायेदार विशेष परिस्थितियों में आपकी प्रॉपर्टी का मालिक बन जाता है। आपको बता दें कि कानून में संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम के तहत इस नियम का जिक्र किया गया है। जिसके अनुसार यदि कोई किरायेदार 12 साल से किसी प्रॉपर्टी में रह रहा है तो वह उस पर कब्जा कर सकता है। इसके साथ ही किरायेदार को उस प्रॉपर्टी को बेचने का भी अधिकार होता है।